Sunday, May 31, 2020

अमर परमात्मा

अमर परमेश्वर -
यह संपूर्ण सृष्टि विनाश में आती है और इसके अंतर्गत जितने भी जीव पशु पक्षियों पेड़ों से लेकर मनुष्य तक सभी इस सृष्टि के साथ समाप्त हो जाते हैं अजर अमर अविनाशी जिसे मारने में कोई भी समर्थ नहीं है वह परमात्मा है जिन्होंने यह सारी दुनिया बनाई ब्रह्मांड बनाएं और उनके अंतर्गत आने वाले सब जीवों को बनाया।
जिस परमात्मा की गवाही विश्व भर में सभी धर्म तथा उनकी धार्मिक पवित्र पुस्तकें  देती हैं वह परमेश्वर जिसे हम परमात्मा , राम , भगवान खुदा , रब , अल्लाह आदि आदि उपमात्मक नामों से जाना जाता है उनका वास्तविक नाम कविर्देव है कबीर परमेश्वर है अल्लाह हू अकबर है।
वह कबीर परमात्मा चारों युगों में धरती पर आकर अपना सत्य ज्ञान खुद अपने मुख कमल से बोलकर अपने प्यारी आत्माओं को बताकर और उन्हें यथार्थ भक्ति विधि देखकर अपने साथ पूर्ण मोक्ष करवाकर सतलोक ले जाते हैं।

परमात्मा का चारों युगों में आने का प्रमाण-

परमेश्वर कबीर साहिब जी की वाणी है
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा ,
त्रेता नाम मुनींद्र मेरा ।
द्वापर में करुणामै कहाया, कलयुग नाम कबीर धर आया।।
कलयुग में परमेश्वर अपने वास्तविक कबीर नाम से सहशरीर प्रकट होते हैं माता के गर्भ से जन्म नहीं लेते।
जब वह परमात्मा 600 वर्ष पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए थे तब से उनकी कलयुग में लीला शुरू हुई थी परमेश्वर 120 वर्ष काशी में रहकर और अनेकों जीवो को सत्य ज्ञान बताकर सुखी किया तथा तत्वज्ञान से परिचित करवाया उस समय उनके 64 लाख शिष्य हो गए थे इसी के दौरान बहुत सी समस्याओं परेशानियों और विरोध का सामना भी करना पडा जोकि आम मनुष्य के वश की बात नहीं थी।
परमेश्वर कबीर साहिब जी के 64 लाख शिष्यों में से एक शिष्य दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी भी थे जिनके जलन का रोग परमेश्वर कबीर जी ने समाप्त किया था
बादशाह सिकंदर लोधी के धार्मिक पीर जिसका नाम शेखतकी था वह परमेश्वर कबीर जी से ईर्ष्या करता था तथा अनेकों मौके ढूंढता था जब परमेश्वर कबीर जी को नीचा दिखा सकें , शेखतकी ने 52 बार अलग-अलग तरीकों से परमेश्वर कबीर साहेब का मरवाने की कोशिश करी थी परंतु वह असमर्थ रहा बार-बार अपमानित करने की कोशिश करी थी परंतु परमेश्वर जनता की नजरों में सम्मानित होते गए और उस समय हुए अद्भुत अनमोल चमत्कारों से परमेश्वर ने अपने सभी बच्चों तक अपना ज्ञान पहुंचाया और उन्हें अपनी शरण में लिया ।

शेख तकी द्वारा की गई 52 बदमाशियां -

• शेखतकी के द्वारा मुर्दे को जिंदा करने की चुनौती देना परमेश्वर के द्वारा कमाल को जीवित करना।

• शेखतकी की पुत्री जो कुछ दिन पहले मृत्यु को प्राप्त हुई थी उसे कब्र से निकलवा कर जीवित करना जिससे उसका नाम कमाली रखा गया।
• ईश्वर कबीर जी ने मरी हुई गाय को जीवित किया।
• शेखतकी द्वारा कबीर परमेश्वर को उबलते तेल के कड़ाही में डलवा देना।
• परमेश्वर कबीर जी को झेरे कुवे में डलवा कर मारने की कोशिश करना।
• काशी में शेखतकी द्वारा परमात्मा कबीर साहेब जी को बदमाशों के द्वारा तलवार से कटवाने का असफल प्रयास करना।
• परमेश्वर कबीर जी को सूलों से छलनी करवाने का असफल प्रयास करना।
• कबीर परमेश्वर के ऊपर चार पहर(12घण्टे) तक तीर, तोप के गोले दागना।
• बेड़ियों से बांधकर गंगा दरिया में डुबो देने की कोशिश करना।
• कबीर परमेश्वर के नाम से झूठी 3 दिन के भंडारे की चिट्ठी डलवा कर 18 लाख साधु-संतों को इकट्ठा करना।
आदि आदि इस प्रकार 52 प्रकार के बदमाशियां की थी।

परंतु परमेश्वर कबीर जी का बाल भी बांका नहीं हुआ क्योंकि वह स्वयं पूर्णब्रह्म परमात्मा जिन्होंने सारे ब्रह्मांड और सर्व सृष्टि के रचनकर्ता हैं तथा उन्होंने किसी का अहित नहीं किया किसी को मारा नहीं क्योंकि वह सभी परमेश्वर के ही बच्चे हैं।
वास्तविक परमात्मा कभी किसी का अहित नहीं करते क्योंकि सर्व सृष्टि के जीव  उनकी संतान हैं उनके बच्चे हैं और वह परमेश्वर प्रेम तथा ज्ञान सत्य भक्ति से सभी को सुखी करते हैं और मोक्ष दायक भक्ति प्रदान करवा कर सतलोक लेकर चले जाते हैं जहां से वापस लौटकर जीव कभी संसार में नहीं आता वही वास्तविक शाश्वत स्थान है।
 आज वर्तमान समय में हम सभी विश्व् के मनुष्यों को उस पूर्ण परमात्मा कबीर बंदी छोड़़ जी की सत्य भक्ति संत रामपाल जी महाराज से प्राप्त करनी चाहिए ।
अधिक जानकारी के लिए देखें
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                                 सत साहेब जी
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Wednesday, May 20, 2020

साधारण विवाह अनमोल जीवन बन्धन

विवाह -
विवाह मानव समाज की अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रथा है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई परिवार का मूल है। इसे मानव जाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान साधन माना जाता है।

विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है।

विवाह का असाधारण होना -

आज के दौर में बेटी की शादी करना मुश्किल होता जा रहा हे।कुछ वजह महगाई भी है।और कुछ रीती रिवाज के नाम पर।
धीरे-धीरे समाज की सबसे बुरी प्रथा दहेजप्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी सामाजिक प्रथाओं में से एक हैं हालांकि दुर्भाग्य से सरकार और विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद यह बदनाम प्रथा अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है।
शादीयों में होने वाला खर्चा कई बार लड़की के परिवार को कर्जदार बना देता है
आज के दौर में बेटी की शादी करना मुश्किल होता जा रहा है और कुछ रीती रिवाज के नाम पर और समाज के उन लोगों से जो बेटी के पिता की परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।

दहेज प्रथा की शुरुआत की गई थी जो लड़कियों को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए एक सभ्य प्रक्रिया के रूप में शुरू की गई, क्योंकि वे नए सिरे से अपना जीवन शुरू करती हैं, धीरे-धीरे समाज की सबसे बुरी प्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी सामाजिक प्रथाओं में से एक है जिसका समाज को समृद्ध करने के लिए उन्मूलन की जरूरत है। हालांकि दुर्भाग्य से सरकार और विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद यह बदनाम प्रथा अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है।
कुछ लोगों के लिए दहेज प्रथा एक सामाजिक प्रतीक से अधिक है। लोगों का मानना है कि जो लोग बड़ी कार और अधिक से अधिक नकद राशि दूल्हे के परिवार को देते हैं इससे समाज में उनके परिवार की छवि अच्छी बनती है। इसलिए भले ही कई परिवार इन खर्चों को बर्दाश्त ना कर पाएं पर वे शानदार शादी का प्रबंध करते हैं और दूल्हे तथा उसके रिश्तेदारों को कई उपहार देते हैं। यह इन दिनों एक प्रतियोगिता जैसा हो गया है जहाँ हर कोई दूसरे को हराना चाहता है।

वर्तमान समय में शादियों में खर्चा करना एक प्रचलन सा बन चुका है।
हमारे समाज में कुछ अमीर लोगों की वजह से गरीब लोगों को शादियों के अंदर बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। और एक गरीब बाप बेटी की शादी में दहेज के बोझ के नीचे तब कर ही मर जाता है।

दहेज वाले विवाह के दुष्परिणाम -
●यह सच्चाई छुपाए नहीं छुप्ती की दहेज की मांग जिन शादियों में होती है या जिन शादियों में दहेज का लेनदेन किया जाता है बेटियों पर अत्याचार और जुल्म भी अधिक से अधिक उन्ही रिश्तो में होते है जिसकी वजह से दहेज रूपी राक्षस से प्रताड़ित बेटियां को जिंदा जला दिया जाता है या बेटियां आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं।
●कुछ-कुछ देखने में आया है दहेज के नाम पर लड़की के पक्ष वालों द्वारा झूठे मुकदमे दहेज के भी बनाए जाते हैं और लड़के के पक्ष वालों को अनायास प्रताड़ित किया जाता है।
●प्रतिवर्ष दहेज के कारण आत्महत्या या फिर हत्या कर देना और दहेज के नाम पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने की वजह से लाखों बेटियां जान दे देती हैं और लाखों परिवार बर्बाद हो जाते हैं।

साधारण एवं उत्तम विवाह के लिए प्रयास -
संत रामपाल जी महाराज अपने आध्यात्मिक सत्संग प्रवचनों में बताते हैं कि दहेज एक बहुत बड़ा अभिशाप है और यह है परमात्मा के संविधान के खिलाफ है इसे पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए।
संत रामपाल जी महाराज का उनके अनुयायियों को निर्देश है कि बिल्कुल सादगी से बिना किसी बैंड बाजा बारात के बिना किसी दहेज लेनदेन के विवाह करना अनिवार्य है।

साधारण उत्तम विवाह-
रामपाल जी महाराज का कहना है कि विवाह केवल दो बच्चों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करता है जो केवल वचन से होता है जिसमें वर्तमान समय में प्रचलित है आडंबर और दिखावे की कोई आवश्यकता नहीं है।
रामपाल जी महाराज के विचारों से प्रभावित होकर उनके लाखों शिष्य उनके बताए हुए मार्गदर्शन में दहेज रहित विवाह जिसे वे रमणी नाम देते हैं करते हैं जो मात्र 17 मिनट में यह विवाह करवाया जाता है इसका पूरा खर्च संत रामपाल जी महाराज के द्वारा उठाए जाते हैं।
तो हमें आवश्यकता है एक ऐसे समाज की जिसमें गरीब अमीर सभी एक समान हो संत जी के अनुयाई जो चाहे गरीब हो या अमीर सभी एक समान है और बिना किसी दहेज के, बिना किसी खर्चे के मात्र 17 मिनट में शादियां करते हैं जो कि हमारे समाज में उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो शादियों में बहुत खर्चा करते हैं और गरीब लोगों के लिए एक मिसाल है।
संत रामपाल जी महाराज का एक सपना दहेज मुक्त हो भारत अपना

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Thursday, May 14, 2020

विवाह कैसे हो !

विवाह -
हमारे मानव समाज में शादी एक बहुत ही पवित्र संस्कार माना जाता है, चाहे वह किसी भी देश तथा किसी भी धर्म में क्यों ना हो ।
शादी/विवाह का उद्देश्य स्त्री और पुरुष का गृहस्थ जीवन शुरू होना होता है यह रीति बहुत ही पुरातन है।
पुराने समय में शादियों का महत्व अलग होता था वर्तमान समय में शादियों की रूपरेखा बिल्कुल भिन्न हो चुके हैं शादी का उद्देश्य तो केवल स्त्री और पुरुष का एक बंधन में बंध कर पारिवारिक जीवन का जुड़ना होता है ।
विवाह का बिगड़ता स्वरूप -

शादीयों में होने वाला खर्चा कई बार लड़की के परिवार को कर्जदार बना देता है
आज के दौर में बेटी की शादी करना मुश्किल होता जा रहा है और कुछ रीती रिवाज के नाम पर और समाज के उन लोगों से जो बेटी के पिता की परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।

दहेज प्रथा की शुरुआत की गई थी जो लड़कियों को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए एक सभ्य प्रक्रिया के रूप में शुरू की गई, क्योंकि वे नए सिरे से अपना जीवन शुरू करती हैं, धीरे-धीरे समाज की सबसे बुरी प्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी सामाजिक प्रथाओं में से एक है जिसका समाज को समृद्ध करने के लिए उन्मूलन की जरूरत है। हालांकि दुर्भाग्य से सरकार और विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद यह बदनाम प्रथा अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है।
कुछ लोगों के लिए दहेज प्रथा एक सामाजिक प्रतीक से अधिक है। लोगों का मानना है कि जो लोग बड़ी कार और अधिक से अधिक नकद राशि दूल्हे के परिवार को देते हैं इससे समाज में उनके परिवार की छवि अच्छी बनती है। इसलिए भले ही कई परिवार इन खर्चों को बर्दाश्त ना कर पाएं पर वे शानदार शादी का प्रबंध करते हैं और दूल्हे तथा उसके रिश्तेदारों को कई उपहार देते हैं। यह इन दिनों एक प्रतियोगिता जैसा हो गया है जहाँ हर कोई दूसरे को हराना चाहता है।

वर्तमान समय में शादियों में खर्चा करना एक प्रचलन सा बन चुका है।
हमारे समाज में कुछ अमीर लोगों की वजह से गरीब लोगों को शादियों के अंदर बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। और एक गरीब बाप बेटी की शादी में दहेज के बोझ के नीचे तब कर ही मर जाता है।

दहेज वाले विवाह के दुष्परिणाम -

●यह सच्चाई छुपाए नहीं छुप्ती की दहेज की मांग जिन शादियों में होती है या जिन शादियों में दहेज का लेनदेन किया जाता है बेटियों पर अत्याचार और जुल्म भी अधिक से अधिक उन्ही रिश्तो में होते है जिसकी वजह से दहेज रूपी राक्षस से प्रताड़ित बेटियां को जिंदा जला दिया जाता है या बेटियां आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं।
●कुछ-कुछ देखने में आया है दहेज के नाम पर लड़की के पक्ष वालों द्वारा झूठे मुकदमे दहेज के भी बनाए जाते हैं और लड़के के पक्ष वालों को अनायास प्रताड़ित किया जाता है।
●प्रतिवर्ष दहेज के कारण आत्महत्या या फिर हत्या कर देना और दहेज के नाम पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने की वजह से लाखों बेटियां जान दे देती हैं और लाखों परिवार बर्बाद हो जाते हैं।
दहेज प्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास -
●आज वर्तमान समय में दहेज रूपी राक्षस को खत्म करने के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदारी चुके आध्यात्मिक अद्वितीय ज्ञान से युक्त तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज को कौन नहीं जानता ।
●संत रामपाल जी महाराज अपने आध्यात्मिक सत्संग प्रवचनों में बताते हैं कि दहेज एक बहुत बड़ा अभिशाप है और यह है परमात्मा के संविधान के खिलाफ है इसे पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए।
●संत रामपाल जी महाराज का उनके अनुयायियों को निर्देश है कि बिल्कुल सादगी से बिना किसी बैंड बाजा बारात के बिना किसी दहेज लेनदेन के विवाह करना अनिवार्य है।

एक विवाह ऐसा भी -
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में बनाता एक विशेष समाज
रामपाल जी महाराज का कहना है कि विवाह केवल दो बच्चों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करता है जो केवल वचन से होता है जिसमें वर्तमान समय में प्रचलित है आडंबर और दिखावे की कोई आवश्यकता नहीं है।
रामपाल जी महाराज के विचारों से प्रभावित होकर उनके लाखों शिष्य उनके बताए हुए मार्गदर्शन में दहेज रहित विवाह जिसे वे रमणी नाम देते हैं करते हैं जो मात्र 17 मिनट में पूर्ण हो जाती है जिसमें सत्संग में आए हुए लोगों के बीच वर और वधु के परिवार के समक्ष चाय एवं बिस्किट का नाश्ता परोसा जाता है और बड़ी ही शादी की यह विवाह करवाया जाता है इसका पूरा खर्च संत रामपाल जी महाराज के द्वारा उठाए जाते हैं।
तो हमें आवश्यकता है एक ऐसे समाज की जिसमें गरीब अमीर सभी एक समान हो और वर्तमान समय में यह केवल संत रामपाल जी महाराज कर रहे हैं
जी हां..! संत जी के अनुयाई जो चाहे गरीब हो या अमीर सभी एक समान है और बिना किसी दहेज के, बिना किसी खर्चे के मात्र 17 मिनट में शादियां करते हैं जो कि हमारे समाज में उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो शादियों में बहुत खर्चा करते हैं और गरीब लोगों के लिए एक मिसाल है।
अमृत विचार-
💐💐🙏संत रामपाल जी महाराज का एक सपना दहेज मुक्त हो भारत अपना🙏💐💐

संत रामपाल जी महाराज की द्वारा किए गए अनेकों सामाजिक कार्य तथा उनके अद्भुत अनमोल शास्त्र प्रमाणित सत्संग प्रवचन देखे रोज रात साधना चैनल पर 7:30 बजे
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Wednesday, May 13, 2020

नशा नाश की जड़ है

नशे की वास्तविक स्थिति -
नशा करता है नाश एक इंसान का , इंसान से उसके परिवार का परिवार से समाज का समाज से मानवता का जी हां बिल्कुल सही समझे आप
बीड़ी गुटखा शराब तमाकू आदि सभी प्रकार के नशा इंसान के लिए बहुत ही घातक हैं आज वर्तमान समय में विश्व भर में 80 से 85 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार का नशा अपनी जिंदगी में करते हैं और इस नशे की लत की वजह से लाखों लोग प्रतिवर्ष अपनी जान गवा देते हैं नशे से अनगिनत जानलेवा बीमारियां पैदा होती हैं जिनसे परिवार का बहुत बड़ा हिस्सा किसी ना किसी तरीके से प्रभावित होकर खत्म हो जाता है जो स्थिति आज वर्तमान समय में चल रही है यदि इसे नहीं संभाला गया तो समाज का बहुत बड़ा हिस्सा बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएगा ।
कबीर साहेब जी कहते हैं -
सूरा पान मद मांसाहारी , गवन करें भोगे पर नारी।
सत्तर जन्म कटेंगे शीशम , साक्षी साहेब हैं जगदीशम।।
नशे के आदी लोग गुनाह का रास्ता अपनाने में बिल्कुल भी देर नहीं करते जिसके परिणाम स्वरूप उनकी जिंदगी बर्बाद हो रही है
समाज कल्याण में लगे सामाजिक संगठनों के द्वारा किया गया प्रयास -
नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ने में कार्यरत समाज के सभ्य लोग जो सामाजिक संगठन अपने अपने स्तर पर बना कर नशे रूपी राक्षस को खत्म करने के लिए अनेकों स्वास्थ्यवर्धक कार्यक्रम , नशा मुक्ति कार्यक्रम आदि चलाते हैं और मेहनत करके थोड़ा बहुत सफलता प्राप्त करते हैं यह एक सराहनीय कार्य समाज के प्रति लोगों का है जो सामाजिक संगठनों खासकर नशे से मुक्ति के लिए चला रहे हैं ।
देश के विभिन्न विभिन्न हिस्सों में कार्य करने वाले सामाजिक संगठनों एवं नशा मुक्ति के लिए प्रयासरत NGO'S बड़ी ही कर्म निष्ठा के साथ अपना बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं।
 इन सामाजिक संगठनों के द्वारा प्रयास सराहनीय है

नशे को लेकर सरकारों की दोगली नीति -
जहां गैर सरकारी सामाजिक संस्थाएं अपने स्तर पर नशा मुक्त करने का प्रयास कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सरकारें अपने राजस्व के लालच में जनता को अंधेरे की ओर धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
सरकारें एक तरफ तो नशा मुक्ति के लिए कड़े से कड़े कानून लाती हैं और दूसरी तरफ शराब तंबाकू तथा अन्य नशीली वस्तुओं की बिक्री के लिए बड़े स्तर पर दुकाने खोल रही हैं।
समझ नहीं आता कि सरकारें देश को युवाओं को समाज को नशे से मुक्त करना चाहती हैं या नशे की लत में डालकर अपना राजस्व एकत्रित करना चाहती हैं।
सरकारी एवं गैर सरकारी सामाजिक संस्थाओं के प्रयास अंत में आकर निरर्थक साबित हो रहे हैं।
किसी ने  चित्रकारी के माध्यम से बहुत कुछ समझाने का प्रयास किया है 👇👇
नशे से बचने का बिल्कुल पक्का और एकमात्र पुख्ता तरीका -
कहा जाता है कि ज्ञान से हर स्थिति को समझा जा सकता है और समझ कर उसमें परिवर्तन लाया जा सकता है जी हां यह बात बिल्कुल सही है कि जब इंसान को इस बात की समझ हो जाए कि क्या काम करना चाहिए और क्या काम नहीं करना चाहिए तथा किस काम को करने से क्या सजा मिलेगी और क्या काम करने से हमें कोई लाभ होगा उसके बाद इंसान सही और गलत का फैसला कर उस पर चल सकता है।कबीर साहब कहते हैं -
सौ नारी जारी करें , सुरा पान सौ बार ।
एक चिलम हुक्का भरें , वो डूबे काली धार।।
अभी इन दिनों में सोशल मीडिया पर ट्विटर ,फेसबुक ,इंस्टाग्राम आदि प्लेटफार्म पर संत रामपाल जी महाराज के द्वारा नशा मुक्त समाज बनाने का दावा किया जा रहा है जिसकी जांच करने पर हमने यह पाया कि संत रामपाल जी ने बताया है कि परमात्मा कबीर साहेब की भक्ति करवा कर किसी भी प्रकार का नशा पूर्ण रूप से छूट जाता है।
संत रामपाल जी महाराज के सत्संग से प्रभावित होकर करोड़ों लोगों ने नशे को पूर्ण रूप से त्याग दिया और अपना जीवन एक सभ्य समाज निर्माण करने में संत रामपाल जी महाराज के साथ लगा दिया।
संत रामपाल जी महाराज कहते हैं किसी भी प्रकार की बुराई को छोड़ना केवल भगवान के संविधान को समझकर ज्ञान से ही किया जा सकता है अन्य इसके अलावा कोई भी तरीका कारगर नहीं है।

            एक संदेश 👇
                    संत रामपाल जी महाराज से प्रभावित हो छोड़ा नशा👇


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Friday, May 8, 2020

मांस खाना महापाप (हराम)

मांसाहार के विषय में :-

आज वर्तमान समय में मांसाहार करना मानव की प्रवृत्ति बन गई है विश्व भर में लगभग 85% लोग कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में मांस का सेवन करते हैं जिसमें बेजुबान जानवरों बेजुबान जीवो की हत्या की जाती है जोकि एक बहुत बड़ा पाप है मांस खाने वाले व्यक्ति में शांति एवं विनम्रता की कमी आती है और उग्रता और हिंसात्मक व्यवहार उतपन्न होने लगता है।
मांस मछलियां खात हैं सुरापान से हेत।
ते नर नरक में जाएंगे , मात पिता समेत।।

मांसाहार से भौतिक हानियां :-
● मांसाहार सेवन करने से शरीर में अनेकों बीमारियां होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है ।
● जिस जानवर का मांस खाया जाता है उस में पाई जाने वाली बीमारियां मनुष्य को होनी निश्चित हो जाती है।
● मांस खाने वाले व्यक्ति शाकाहारी व्यक्तियों की तुलना में हिंसक और उग्र स्वभाव के होते हैं।
● कुछ-कुछ प्रतिशत जिस पशु का मांस खाया जाता है उसका व्यवहार उसके लक्षण मनुष्य में दिखाई देने लगते हैं।


मांसाहार आध्यात्मिक दृष्टि से :-
 आध्यात्मिक नज़रिए से मांसाहार खाना महापाप बताया है।
● परमेश्वर ने बताया है तिल के समान मछली खाकर यदि करोड़ों गाय भी दान कर दें तो भी उस पापी आत्मा को नर्क में दुखों को भोगना पड़ता है।
● कबीर साहब कहते हैं बकरी ने पौधा खाया और उसे मृत्यु का सामना करना पड़ा गला कटवाना पड़ा और जो मनुष्य उस बकरी को खा रहा है उसके साथ क्या बनेगी यह सोचने की बात है।
● मुसलमान कहते हैं कि हम धीरे-धीरे हलाल करते हैं जिससे उस जानवर को तकलीफ कम होती है हिंदू कहते हैं हम झटके से मार देते हैं जिससे उसे तकलीफ कम होती है कबीर परमात्मा कहते हैं कि यदि आपके परिवार के सदस्य को झटके से गर्दन काट कर मारा जाए या धीरे धीरे गर्दन काट कर मारा जाए तो कितना दर्द और कितनी तकलीफ है हम महसूस करेंगे वैसा ही जानवरों के साथ भी है।
● पूरे जीवन में एक बार मांस खाने के उपरांत आजीवन मांसाहार ना करने पर भी भगवान के दरबार में सजा के तौर पर मनुष्य शरीर छूटने के बाद लगातार 70 जन्म गला कटकर मृत्यु होती है।
● किसी भी जीव का मांस खाने वाला पापी इंसान घोर नरक में जलता है जिसका दर्द और पीड़ा असहनीय होती है इससे बचने के लिए मांस खाना बंद करें।

मांसाहार से बचने के उपाय :-
मांसाहार एक बहुत बड़ा पाप और कुरुति है जिसे केवल और केवल ज्ञान से समाप्त किया जा सकता है यदि इंसान को इस बात का ज्ञान हो जाए कि मांस खाने से उसे क्या क्या हानि क्या क्या नुकसान होते हैं तो वह मनुष्य अपने जीवन में कभी मांस के हाथ भी नहीं लगाएगा परमात्मा के वास्तविक विधान को जानकर जीव सभी पापों से दूर हो जाता है और सभी दुखों से बच जाता है और अपने जीवन को सुखी बना कर जीवन व्यतीत करता है।
संत रामपाल जी महाराज के पास वास्तविक अध्यात्मिक ज्ञान है जिससे परमेश्वर कबीर साहेब के विधान अनुसार दुराचारी से भी दुराचारी व्यक्ति सभी पापों सभी अपराधों को छोड़कर एक शब्द और सज्जन इंसान बन जाता है ।
बाइबल में बताया है कि परमेश्वर ने मनुष्य को फलदार वृक्ष और बिज़दार पौधे खाने का हुक्म दिया है।
संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन साधना टीवी पर रोज रात 7:30 बजे देखें

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                                 🙏धन्यवाद🙏


Thursday, May 7, 2020

सत्य भगती

भक्ति और भगवान
भिन्न- भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न संप्रदाय के लोगों के द्वारा अपनी अपनी मान्यताओं से भक्ति एवं पूजा साधना करी जाती है जिससे लोगों की आस्था भगवान में बनी रहती हैं और वास्तव में जहां पर धार्मिकता अधिक होती है वहां पर सुख समृद्धि अधिक पाई जाती है

किस भगवान की भक्ति करनी चाहिए
पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर जिन्होंने सारी सृष्टि की रचना करें वह कबीर परमेश्वर मनुष्य को गीता अनुसार उस परम अक्षर ब्रह्म की भक्ति करनी चाहिए जिसकी शरण में जाने के बाद वापस जीव लौटकर संसार में कभी नहीं आता और सदा सदा के लिए शाश्वत स्थान को प्राप्त करता है गीता ज्ञान देने वाले भगवान ने बताया है कि अर्जुन दूसरे भाव से उस परमेश्वर की शरण में जा उनके बारे में किसी तत्वदर्शी संत की खोज कर उनको दंडवत प्रणाम करके सरलता पूर्वक प्रश्न करने से वह तत्वदर्शी संत तुझे उस तत्व ज्ञान का उपदेश करेंगे फिर उसके बाद उस परम पद की खोज कर जहां जाने के बाद साधक वापस लौट कर कभी संसार में नहीं आता गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि वह मेरा भी इष्ट है।

गीता अनुसार भगवान को पाने का मार्ग-
अध्याय 2 में गीता ज्ञान दाता प्रभु कहते हैं की है अर्जुन तेरे भी बहुत जन्म हो चुके और मेरे भी बहुत सन हो चुके तथा आगे भी होते रहेंगे परंतु अविनाशी तो तू उसे जान जिसे मारने में कोई भी सम्मिलित नहीं है वह सब का आदि और अंत है
गीता अध्याय 18 श्लोक 66 में कहा है कि अर्जुन मेरे स्तर की जितनी भक्ति साधना है वह मुझ में त्याग और उस परमेश्वर की शरण में चला जाए मैं तुझे सब पापों से मुक्त कर दूंगा ।
जहां जाने के बाद साधक लौटकर संसार में वापस कभी नहीं आता ।
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा है कि उस परमेश्वर की जानकारी जानने के लिए किसी तत्वदर्शी संत की खोज करो वह तुम्हें सरलता पूर्वक प्रश्न करने पर उस पर मातम तत्वों का उपदेश करेंगे।
वही तत्वदर्शी संत गीता जी में वर्णित "ओम तत् सत" इन तीन प्रकार की विधि से प्राप्त भक्ति से परमात्मा को प्राप्त करने का मंत्र प्रदान करेंगे ।

वह तत्वदर्शी संत कौन है ?
7:30 अरब की जनसंख्या वाली संपूर्ण विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज जिला हिसार हरियाणा वाले हैं जो कबीर परमेश्वर की पूर्ण भक्ति शास्त्र अनुकूल बताते हैं


 के लिए देखें संत रामपाल जी महाराज के सत्संग रोज रात 7:30 बजे साधना चैनल पर


Wednesday, May 6, 2020

ALCOHOL FREE INDIA

ALCOHOL FREE INDIA
As we know this time  is very hard for whole world cause of COVID-19 Pandemic and situation become worst with evry passing minute. As Our eyes focused on Pandemic so we neglect other other Problems.

Like  INTOXICATION is a mjor problem which become more worse  during this Lockdown period.Addicted people become more violent and as a result cases of Domestic violence increases including death of victim in some cases.

CURE OF INTOXICATION BY ! ...
Most appropriate and confirmed method to quit INTOXICATION permanently is  spirituality.The only cure is right way of worship of Almighty God kabir  afte ( kabira , Kavirdev , khabira , Elle Kabir)..

Ture Saint Rampal Ji Maharaj take the full responsibility of his followers to make life free from INTOXICATION but followers should follow the necessary rules of of spirituality.


Must watch this video and take the proper guidance by the grace of Saint Rampal Ji Maharaj

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कावड़ यात्रा

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