Wednesday, May 20, 2020

साधारण विवाह अनमोल जीवन बन्धन

विवाह -
विवाह मानव समाज की अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रथा है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई परिवार का मूल है। इसे मानव जाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान साधन माना जाता है।

विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है।

विवाह का असाधारण होना -

आज के दौर में बेटी की शादी करना मुश्किल होता जा रहा हे।कुछ वजह महगाई भी है।और कुछ रीती रिवाज के नाम पर।
धीरे-धीरे समाज की सबसे बुरी प्रथा दहेजप्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी सामाजिक प्रथाओं में से एक हैं हालांकि दुर्भाग्य से सरकार और विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद यह बदनाम प्रथा अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है।
शादीयों में होने वाला खर्चा कई बार लड़की के परिवार को कर्जदार बना देता है
आज के दौर में बेटी की शादी करना मुश्किल होता जा रहा है और कुछ रीती रिवाज के नाम पर और समाज के उन लोगों से जो बेटी के पिता की परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।

दहेज प्रथा की शुरुआत की गई थी जो लड़कियों को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए एक सभ्य प्रक्रिया के रूप में शुरू की गई, क्योंकि वे नए सिरे से अपना जीवन शुरू करती हैं, धीरे-धीरे समाज की सबसे बुरी प्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी सामाजिक प्रथाओं में से एक है जिसका समाज को समृद्ध करने के लिए उन्मूलन की जरूरत है। हालांकि दुर्भाग्य से सरकार और विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद यह बदनाम प्रथा अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है।
कुछ लोगों के लिए दहेज प्रथा एक सामाजिक प्रतीक से अधिक है। लोगों का मानना है कि जो लोग बड़ी कार और अधिक से अधिक नकद राशि दूल्हे के परिवार को देते हैं इससे समाज में उनके परिवार की छवि अच्छी बनती है। इसलिए भले ही कई परिवार इन खर्चों को बर्दाश्त ना कर पाएं पर वे शानदार शादी का प्रबंध करते हैं और दूल्हे तथा उसके रिश्तेदारों को कई उपहार देते हैं। यह इन दिनों एक प्रतियोगिता जैसा हो गया है जहाँ हर कोई दूसरे को हराना चाहता है।

वर्तमान समय में शादियों में खर्चा करना एक प्रचलन सा बन चुका है।
हमारे समाज में कुछ अमीर लोगों की वजह से गरीब लोगों को शादियों के अंदर बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। और एक गरीब बाप बेटी की शादी में दहेज के बोझ के नीचे तब कर ही मर जाता है।

दहेज वाले विवाह के दुष्परिणाम -
●यह सच्चाई छुपाए नहीं छुप्ती की दहेज की मांग जिन शादियों में होती है या जिन शादियों में दहेज का लेनदेन किया जाता है बेटियों पर अत्याचार और जुल्म भी अधिक से अधिक उन्ही रिश्तो में होते है जिसकी वजह से दहेज रूपी राक्षस से प्रताड़ित बेटियां को जिंदा जला दिया जाता है या बेटियां आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं।
●कुछ-कुछ देखने में आया है दहेज के नाम पर लड़की के पक्ष वालों द्वारा झूठे मुकदमे दहेज के भी बनाए जाते हैं और लड़के के पक्ष वालों को अनायास प्रताड़ित किया जाता है।
●प्रतिवर्ष दहेज के कारण आत्महत्या या फिर हत्या कर देना और दहेज के नाम पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने की वजह से लाखों बेटियां जान दे देती हैं और लाखों परिवार बर्बाद हो जाते हैं।

साधारण एवं उत्तम विवाह के लिए प्रयास -
संत रामपाल जी महाराज अपने आध्यात्मिक सत्संग प्रवचनों में बताते हैं कि दहेज एक बहुत बड़ा अभिशाप है और यह है परमात्मा के संविधान के खिलाफ है इसे पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए।
संत रामपाल जी महाराज का उनके अनुयायियों को निर्देश है कि बिल्कुल सादगी से बिना किसी बैंड बाजा बारात के बिना किसी दहेज लेनदेन के विवाह करना अनिवार्य है।

साधारण उत्तम विवाह-
रामपाल जी महाराज का कहना है कि विवाह केवल दो बच्चों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करता है जो केवल वचन से होता है जिसमें वर्तमान समय में प्रचलित है आडंबर और दिखावे की कोई आवश्यकता नहीं है।
रामपाल जी महाराज के विचारों से प्रभावित होकर उनके लाखों शिष्य उनके बताए हुए मार्गदर्शन में दहेज रहित विवाह जिसे वे रमणी नाम देते हैं करते हैं जो मात्र 17 मिनट में यह विवाह करवाया जाता है इसका पूरा खर्च संत रामपाल जी महाराज के द्वारा उठाए जाते हैं।
तो हमें आवश्यकता है एक ऐसे समाज की जिसमें गरीब अमीर सभी एक समान हो संत जी के अनुयाई जो चाहे गरीब हो या अमीर सभी एक समान है और बिना किसी दहेज के, बिना किसी खर्चे के मात्र 17 मिनट में शादियां करते हैं जो कि हमारे समाज में उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो शादियों में बहुत खर्चा करते हैं और गरीब लोगों के लिए एक मिसाल है।
संत रामपाल जी महाराज का एक सपना दहेज मुक्त हो भारत अपना

www.supremegod.org

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