Wednesday, August 5, 2020

कावड़ यात्रा

भारत में सबसे अधिक प्रचलन में यहां के भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न आस्थाओं के साथ त्यौहारों का मनाना प्रचलन में आता है और खासकर जब बात करें श्रावण(सावन) माह की तो आस्था का केंद्र मुख्य रूप से श्रावण(सावन) महीना माना जाता है।
सावन किस महीने में मुख्य रूप से त्रिलोकीनाथ भगवान शिव जी की उपासना की जाती है इसी सावन के महीने में पौराणिक लोक वैदिक मान्यताओं के अनुसार गंगाजल लेकर भगवान शंकर की पत्थर की प्रतिमा पर जल अभिषेक किया जाता है जिस यात्रा को कावड़ यात्रा कहा जाता है।

कावड़ यात्रा के दौरान लाखों-करोड़ों लोग एक लोक वेद पर आधारित आस्था से जुड़कर बहुत बड़ी संख्या में हरिद्वार से जल लेकर अपने अपने निजी स्थानों पर आकर शिवजी के मंदिर में जल चढ़ा कर अपने आप को धन्य महसूस करते हैं।

कावड़ यात्रा लाभ या हानि-
यह बहुत बड़ा प्रश्न है कि क्या कावड़ यात्रा करने से कोई लाभ प्राप्त होता है अथवा नहीं होता इसका निष्कर्ष हम केवल 1 तरीके से लगा सकते हैं यदि कावड़ यात्रा या इस प्रकार की किसी भी क्रिया के विषय में पवित्र चारों वेदों में या पवित्र गीता जी में कोई वर्णन है जोकि परमेश्वर के द्वारा दिया गया संपूर्ण मानव समाज को एक संविधान है जो हमें मार्गदर्शन करते हैं की भक्ति साधना अध्यात्म में तथा जीवन में किस प्रकार से करनी चाहिए इनमें यदि प्रमाण है कावड़ यात्रा का तो कावड़ यात्रा सही हैं और यदि कावड़ यात्रा के विषय में या इससे मिलती-जुलती किसी भी क्रिया के विषय में वेदों तथा गीता में कोई वर्णन नहीं है तो यह क्रिया शास्त्रविधि के विपरीत मन माना आचरण मानी जानी चाहिए।
एक विचारणीय विषय यह भी है की भगवान शिव के लोक में एक जटा कुंडली नामक एक बहुत बड़ा सरोवर है जिसमें गंगा जी को स्थान प्राप्त हुआ और वहां से अंतर्ध्यान हो कर गोमुख हिमालय से गंगा जी जल के रूप में प्रकट हो तथा हरिद्वार होते हुए तथा अन्य रास्तों से होते हुए अपने आगे का सफर पूरा किया जो गंगा जी भगवान शिव के लोक से आकर यहां प्रकट हैं तो क्या हमारा पावभर गंगाजल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करके कोई लाभ प्राप्त हो सकता है।
श्रीमद्भागवत गीता मे लिखा हुआ है की शास्त्र विधि को त्याग कर जो मन माना आचरण अर्थात मनमाने तरीके से क्रिया पूजा साधना की जाती है जो लोग यह करते हैं उन्हें ना तो कोई लाभ मिलता है ना ही उनकी गति होती है ना ही कोई सिद्धि प्राप्त होती है अर्थात बिल्कुल व्यर्थ जी हां यही श्रीमद्भागवत गीता जी के अंदर लिखा हुआ है जो स्पष्ट तौर पर बताता है कि यदि कोई भी क्रिया साधना वर्तमान समय में प्रचलित है किसी भी धर्म में है और उसको करने के बाद कोई लाभ नहीं मिलता या कोई दुखद हादसे हो जाते हैं या कोई परेशानी आती है उचित लाभ नहीं मिल पाता है तो उसका सिर्फ और सिर्फ एक यह कारण होता है कि वह शास्त्रों के अनुसार नहीं है।
ऐसे में हमें चाहिए कि उस क्रिया साधना को बेशक वह कितनी पौराणिक समय से चलती आ रही हो तुरंत त्याग देना चाहिए और शास्त्र अनुकूल भक्ति करनी चाहिए।

कावड़ यात्रा के दौरान दुखद घटनाएं-
यदि हम कुछ समय पहले की कावड़ यात्रा को देखें तो इस दौरान बड़े बड़े हादसे प्रत्येक वर्ष होते हैं जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है सड़क हादसों में अन्य किसी दूसरे कारण से कावड़ यात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है विचारणीय विषय यह है कि कि देवों के देव महादेव भगवान शंकर यदि इस कावड़ यात्रा या इसके दौरान की जाने वाली किसी भी क्रिया साधना से प्रसन्न होते तो क्या वे इन हादसों को इन दुखद घटनाओं को टाल नहीं सकते थे वह तो सम्रत हैं त्रिलोकीनाथ हैं तीन लोक के स्वामी हैं डाल सकते थे परंतु ऐसा नहीं हुआ यहां पर सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है क्या यह क्रिया शास्त्रों में वर्णित विधि के बिल्कुल विपरीत है जिसकी वजह से किसी को कोई उचित लाभ नहीं मिलता।
बड़े ही दुख के साथ यह भी कहना पड़ता है कि कुछ नकली धर्मगुरु जो अपनी महिमा बनाने के लिए तरह तरह के पाखंड क्रिया करते हैं और उन से आकर्षित होकर भोले भाले श्रद्धालु यह नहीं देखते कि हमारे वेदों जीता में क्या वर्णित विधि बताई है परमेश्वर को पाने तथा उनसे लाभ लेने के लिए और भोले वाले श्रद्धालु उनके पीछे एक दिखावे की ओर आकर्षित होकर उनके साथ लग जाते हैं और वह भगवान शंकर के नाम से स्वयं तो नशा करते हैं चिलम पीना हुक्का पीना तमाखू भांग पीना तथा और अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करते हैं तथा भोले का प्रसाद बता कर भोले भाले श्रद्धालुओं को भी इस बुरी लत में डाल देते हैं जो कि किसी भी शास्त्र में प्रमाण नहीं है कि भगवान शंकर भांग पीते थे या अन्य कोई ऐसी क्रिया करते थे जो नशीली वस्तुओं का सेवन करने से होती हो यह एक बहुत बड़ा शराब कहेंगे हम युवा पीढ़ी के लिए इससे हमें बचने की आवश्यकता है।
वास्तविक शास्त्र अनुकूल भक्ति-
वर्तमान समय में चल रही शास्त्र विरुद्ध साधना , क्रियाNएं प्रत्येक धर्म के अंदर चरम सीमा पर है उन सभी क्रियाओं से बचने के लिए एक ऐसा मार्ग चाहिए जो शास्त्र विधि के अनुसार हमें भक्ति करने के लिए प्राप्त हो 
जिससे वेदों गीता आदि के अनुसार विधिवत परमेश्वर की भक्ति को अपनाकर मानव सुखी हो सके।
आज वर्तमान समय में शिक्षा का लाभ उठाते हुए प्रत्येक मानव का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपने धार्मिक आध्यात्मिक शास्त्रों चाहे वह किसी भी धर्म में क्यों ना हो का अध्ययन करना चाहिए तथा उसके अंदर बताई हुई भक्ति क्रिया को विधिवत बताए हुए तरीके के अनुसार करना चाहिए।

सत्य साधना बताने वालेमार्गदर्शक-

श्रीमद भगवत गीता जी अध्याय 4 श्लोक 34 ने बताया है की पूर्ण परमेश्वर की भक्ति तथा उसे पाने का मार्ग जानने के लिए किसी तत्वदर्शी संत की खोज करनी चाहिए उन्हें दंडवत प्रणाम करके उनसे सरलता पूर्व प्रश्न करने पर वह तत्वदर्शी संत साधक को परमात्मा तत्व का उपदेश करते हैं।

पवित्र कुरान शरीफ की सूरत फुरकान 25 आयत 52 से 59 में यह स्पष्ट बताया है कि वह अल्लाह जिसने सारी सृष्टि को रचा जिसने सारी दुनिया को बनाया सब कुछ उसके बीच में रहने वालों को बनाया उस अल्लाह के बारे में किसी बाखबर(तत्वदर्शी सन्त) से पूछो वह उस अल्लाह के विषय में सही सही जानकारी बताएंगे।

यहां पर विचारणीय विषय यह है कि श्रीमद भगवत गीता जी का ज्ञान देने वाले प्रभु तथा पवित्र कुरान शरीफ का ज्ञान देने वाला अल्लाह अपने से किसी अन्य परमेश्वर किसी अन्य बड़े अल्लाह के पास जाने को कहता है और उसकी जानकारी किसी तत्वदर्शी संत अथवा बाखबर जो इल्म से जानता हो उसकी शरण में जाने को कहा है वह तत्वदर्शी संत बताएंगे कि वह पूर्ण परमात्मा कौन है वह सबसे बड़ा अल्लाह कौन है।

तत्वदर्शी संत/ बाख़बर कौन है-
आपको यह जानकर बड़ी खुशी होगी की वर्तमान समय में वह तत्वदर्शी संत वह बाख़बर भारतवर्ष में ही हैं और उनका नाम है जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जो अपने अद्वितीय ज्ञान जिनका प्रमाण पवित्र वेदों में गीता जी में पवित्र कुरान शरीफ में पवित्र बाइबल में तथा पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब में मिलता है और वे पूर्णब्रह्म परमात्मा वास्तविक अल्लाह वास्तविक राम कबीर परमेश्वर की भक्ति की वास्तव की विधि बताते हैं जिससे मनुष्य को अपने प्रारब्ध के सभी दुखों और आने वाले सभी पापों और दुखों से बचाकर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करवाने की शास्त्र अनुकूल भक्ति प्रदान करते हैं।
संत रामपाल जी महाराज संपूर्ण धर्मों की पवित्र पुस्तकों से यह प्रमाण बताते हैं कि कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा है कबीर साहेब भी अल्लाह है कबीर साहिब भी ईश्वर हैं वहीं सर्व रचनाकार हैं जिनकी भक्ति को त्याग कर यह मानव इस लोक में जन्म मृत्यु के चक्कर में फंसा हुआ है और दुख पर दुख उठाता है संत रामपाल जी महाराज के द्वारा बताई गई भक्ति परमेश्वर कबीर जी की करने से मनुष्य के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं और श्रीमद भगवत गीता जी में बताया है कि है अर्जुन यदि बुढापे और मृत्यु से बचना है तो उस पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करो उसके विषय में कोई तत्वदर्शी संत में बताएंगे वही पूर्ण परमेश्वर की भक्ति तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के द्वारा करवाई जा रही है जिसे संपूर्ण मानव समाज स्वीकार करके अपना मानव जन्म सफल बनाएं यहां पर भी सुखी रहें और शरीर त्यागने के बाद परमसुख परम शांति दायक स्थान सतलोक को प्राप्त करें।
संत रामपाल जी महाराज के अद्वितीय आध्यात्मिक सत्संग प्रवचन ओं का प्रसारण अनेकों धार्मिक चैनलों पर होता है जिसमें से रात्रि 7:30 बजे से साधना चैनल पर संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन प्रसारित होते हैं अवश्य सुने और अपना मानव जीवन धन्य बनाएं।      
                          धन्यवाद



Wednesday, July 15, 2020

नशे का जाल

नशा क्या है
वैसे तो समय-समय पर अनेकों तरीके की समस्याएं अनेकों तरीकों की परेशानियां सारे देश दुनिया विश्व में देखी जाती हैं जिनमें से कुछ ऐसी होती हैं जो आती हैं कुछ समय बाद चली जाती हैं और कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जो निरंतर साथ साथ चलती रहती हैं वह मनुष्य को शारीरिक मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित करती रहती हैं उन्हीं परेशानियों में से एक जिसे हम गलत कह सकते हैं जिसे हम मानसिक बीमारी कह सकते हैं जो व्यक्ति विशेष छोड़ नहीं पाता उसे नशा कहते हैं।

आज विश्व भर में बहुत बड़ी संख्या में नशे को किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है जोकि शारीरिक मानसिक तथा आर्थिक तीनों रूप से बहुत ही नुकसानदायक होता है •इसमें सर्वप्रथम शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
• दूसरा इसमें आर्थिक रूप से परिवार को तथा स्वयं को कठिन समस्याओं से गुजरना पड़ता है।
• तीसरा इसमें आर्थिक रूप से कमजोर होने तथा शारीरिक रूप से कमजोर होने पर सामाजिक दायित्व ना निभाने की वजह से मानसिक तनाव प्रभाव डालता है।
कोई भी मनुष्य इन तीन प्रकार के तनाव से किसी न किसी तरीके से ग्रसित होकर क्या तो अपना अस्तित्व समाप्त कर देता है या उस व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है।

नशे के फैलने के कारण -
नशे की निरंतर रूप से बढ़ने तथा फैलने का कारण अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग देखा जाता है।
•कहीं पर तो नशा पारिवारिक परिवेश में होने की वजह से वंशवाद में ही प्राप्त हो जाता है जैसे किसी बच्चे ने बचपन से अपने बड़ों को नशा करते हुए देखा हो चाहे वह शराब का हो चाहे वह धूम्रपान का हो या अन्य किसी प्रकार का उस बच्चे के लिए नशा पुश्तैनी वस्तु हो जाती है।
• कुछ-कुछ जगह पर नशा उम्र के अनुसार विशेष तौर पर युवा होने पर गलत संगत का साथ हो जाने पर जिंदगी का दामन थाम लेता है जो जिंदगी को खत्म कर के छोड़ता है।
• ज्यादातर देखने में आया है कोई भी व्यक्ति जब अपनी जीवन में आने वाली परेशानियों से ठीक तरीके से सामने नहीं कर पाता तो अपने मानसिक तनाव को खत्म करने के लिए है नशे का साथ अपनाता है जिससे परेशानी तो दूर नहीं होती साथ-साथ आर्थिक एवं शारीरिक परेशानियां और साथ हो जाती हैं।

इसी प्रकार और भी बहुत से कारण होते हैं जिसमें इंसान अपनी जिंदगी में नशे की लत को अपनाता है जिसमें से अब आपके सामने सबसे महत्वपूर्ण और सबसे मुख्य कारण नशे को अपनाना और उसके फैलाव के लिए जिम्मेदार होता है आपको बताया जा रहा है।

नशा हो या अन्य कोई भी बुरी आदत हो वह आध्यात्मिक ज्ञान हीनता के कारण ही पनपता है जिसे रोकने का मनुष्य के पास उचित कोई उपाय नहीं होता जिसकी वजह से वह इन समस्याओं से गिरकर अपने आप को समाप्त महसूस करता है और उस लत से ग्रसित होकर अपना जीवन समाप्त कर जाता है।
कबीर साहब कहते हैं-
सुरापान मद मांसाहारी , गवन करे भोगे परनारी ।
सत्तर जन्म कटेंगे शीशम(शीश), साक्षी साहब है जगदीशम।।

भावार्थ- कभी साहब कहना चाहते हैं कि यह परमेश्वर का विधान है कि यदि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सिर्फ एक बार मांस खाता है या शराब पीता है या दुराचार करता है आदि सिर्फ एक बार जीवन में करने की सजा प्राप्त होती है इस मानव शरीर के छूटने के पश्चात लगातार सत्तर जन्मों में गला कटने से मृत्यु को प्राप्त होता है।
यह मुख्य कारण है मनुष्य आध्यात्मिक ज्ञान हीनता के कारण नशे को अपनाता है तथा नशा बड़ी तेजी से उस व्यक्ति के जीवन को अंधकार में घेर लेता है तथा उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति उससे प्रभावित होकर नशे की लत को अपनाते हैं और अपना तथा अपने परिवार का जीवन अंधकार में कर लेते हैं।

नशे के जाल से बचने का उपाय विफल उपाय सरकार द्वारा -
वर्तमान में सभी देशों में वहां की सरकारें नशे से बचने के लिए कानून बनाते हैं नशा मुक्ति केंद्र खोलते हैं कानून के दौरान नशा करने पर दंडनीय अपराध भी रखते हैं परंतु यह केवल औपचारिकता मात्र दिखाई देता है क्योंकि नशे को बेचना इसकी अनुमति भी सरकार ही देती है यह बड़ा ही हास्यास्पद प्रतीत होता है कि एक तरफ तो नशा है दूसरी तरफ कहा जाता है कि नशा करने के बाद व्यक्ति विशेष को दंडित किया जाएगा इससे कुछ कुछ स्पष्ट प्रतीत होता है कि सरकार को मात्र राजस्व एकत्रित करने के अलावा अन्य कोई इच्छा कहीं या मंशा दिखाई नहीं देती।

नशे से बचने का कारगर उपाय-
नशे के फैलाव तथा नशे के बढ़ते हुए लत को केवल उस से होने वाली हानि से अवगत करा कर और उसके द्वारा होने वाले दुखों से बचने का रास्ता बता कर ही नशे से बचा जा सकता है दूरी बनाई जा सकती है।

नशे रूपी राक्षस से व्यक्ति समाज तथा दुनिया को बचाने के लिए नशे के करने पर आध्यात्मिक परमेश्वर के संविधान के अनुसार इंसान को मिलने वाली सजा तथा दुखों का ज्ञान होना ही एकमात्र तरीका है जिससे मनुष्य नशे से सदा सदा के लिए दूर हो सकता है।

आज पूरे विश्व में एक बहुत ही बड़ा उदाहरण दुनिया के सामने प्रस्तुत है संत रामपाल जी महाराज के रूप में जिनके करोड़ों अन्याय जो पहले नशा करते थे दुराचार करते थे और भी बहुत से पाप किया करते थे विशेष तौर पर नशा तथा मांस का सेवन होता था संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक ज्ञान से प्रभावित होकर उनके बताए हुए शास्त्र अनुकूल भक्ति मार्ग को अपनाकर उन करोड़ों लोगों ने नशे को सदा सदा के लिए त्याग दिया तथा मनुष्य जन्म के मूल कर्तव्य परमेश्वर के संविधान के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने पर जोर देकर अपने तथा पूरे परिवार को सुखी बनाने में संत रामपाल जी महाराज के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करना प्रारंभ किया है।
रामपाल जी महाराज वर्तमान समय में एकमात्र ऐसे संत हैं जो अपने आध्यात्मिक सत्य ज्ञान से सभी को इस चीज का एहसास दिलाते हैं कि यदि हम यह कर्म करेंगे तो हमें उसका फल किस रूप में प्राप्त होगा किन कर्मों की वजह से हमें दुख प्राप्त होगा किन कर्मों की वजह से हमें सजा मिलेगी उन सभी परमेश्वर के बनाए हुए विधान से परिचित होकर व्यक्ति सभी प्रकार की बुराइयों से बच जाता है सावधान हो जाता है यह कार्य संत रामपाल जी महाराज बड़े ही संघर्ष और दृढ़ता के साथ कर रहे हैं जिसमें प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों लोग जुड़कर उनकी शरण ग्रहण करके अपना जीवन सुखद तथा धन्य बना रहे हैं।

संत रामपाल जी महाराज के द्वारा तैयार किया जा रहा समाज नशा मुक्त दहेज मुक्त बीमारी तथा रोगों से मुक्त एक ऐसा स्वच्छ तथा स्वस्थ समाज तैयार हो रहा है जो भारत को विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर है तथा संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में एकता भाईचारा तथा एक परमात्मा एक ईश्वर जिनका नाम पूर्णब्रह्म कबीर है की भक्ति सभी मानव समाज पूरे पृथ्वी पर अपनाकर अपना जीवन धन्य बनाएं तथा पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें जिसमें सबसे बड़ी बाधक नशा जो कि मनुष्य के नाश की जड़ है को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया जाता है सत्य भक्ति के आधार पर।
संपूर्ण मानव समाज से यह निवेदन किया जाता है संत रामपाल जी महाराज के सर्व संगत की तरफ से कि संत रामपाल जी महाराज के बताए गए उनके द्वारा बोले गए ज्ञान को सत्संग के माध्यम से तथा उनके द्वारा लिखी हुई पुस्तकों के माध्यम से सोने समझे तथा निष्कर्ष निकालकर अपने शास्त्रों के अनुसार चाहे वह किसी भी धर्म में मौजूद का नाम मनुष्य जन्म के मूल कर्तव्य को समझ कर उनके सानिध्य भक्ति करें सुखद जीवन जी अपने परिवार को सुखी करवाएं नशे जैसे राक्षस को ज्ञान रूपी शास्त्र से मारकर सभी समाज तैयार करें मनुष्य जन्म के मूल कर्तव्य को पूरा करें।
नशा नाश की जड़ होता है इससे बचने के लिए एकमात्र कारगर सुखदायक रास्ता आध्यात्मिक ज्ञान से जीवन जीना संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में

कबीर परमेश्वर कहते हैं-

• मनुष्य जन्म दुर्लभ है , यह मिले ना बारंबार।
 जैसे पेड़ से पत्ता टूट गिरे वह बहुर ना लगता डार।।

 • भक्ति बिना नर और खर एक है ,
जिन हरि पद नहीं जाना।
 पूर्णब्रह्म की परख नहीं , वह पूज्य मरे पाषाणा।।
सभी मानव समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का सत्संग अवश्य सुने और अपने जीवन को सुखी बनाए उनके सानिध्य को स्वीकार करके।
       
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Wednesday, July 8, 2020

सांप पूजा

                           सांपो की पूजा पर खास
आज विश्व भर में अनेकों देशों में भिन्न भिन्न प्रकार से पूजा-पाठ अपने-अपने लोग मत के अनुसार की जाती है आज हम बात करते हैं भारत में प्रचलित एक अन्य पूजा की जिसमें सांपों की पूजा का वर्णन है।

देश में विभिन्न विभिन्न पेड़-पौधों पशु-पक्षियों तथा अन्य जीव-जंतुओं को क्षेत्रों के अनुसार पूजा की जाती है जिसमें मुख्य प्रचलन में सांपों की।
भारत में सांप हो एक विशेष दर्जा प्राप्त है जिसमें मुख्य रुप से सांप का भगवान शिव जी के गले में सुशोभित होना कारण है सांप को भगवान शंकर के गले की शोभा बढ़ाते हुए विशेष दर्जा दिया जाता है साथ ही बहुत सी जगहों पर अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार सांपों की पूजा की जाती है कहीं पर बुरी आपदाओं से बचने के लिए कहीं पर भगवान को प्रसन्न करने के लिए सांपों की पूजा की जाती है।
विशेष तौर पर नाग पंचमी के दिन पूरे भारतवर्ष में सांपों की पूजा की जाती जिसमें मान्यता है घर में सुख समृद्धि का प्रवेश होता है।
आइए अब हम बात करते हैं सांपों की पूजा कहां तक सार्थक है और कहां तक निरर्थक है
सर्वप्रथम बात करें की कोई भी व्यक्ति यदि भक्ति करता है तो उसका उद्देश्य होता है किसी भी प्रकार का शारीरिक आर्थिक व मानसिक लाभ उसे प्राप्त हो इसी आशा के साथ वह भक्ति करता है पूजा करता है लेकिन बात यहाँ पर यह है कि क्या ऐसा सम्भव है कि सांप की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएं इसके बारे में जानकारी हमारे धार्मिक सद्ग्रन्थों से प्राप्त करते हैं।

चार वेद  , गीता जी , बाइबिल , क़ुरान तथा गुरुग्रंथ साहेब आदि मुख्य धार्मिक पुस्तकों में कहीं पर भी सांपों की पूजा का विधान नहीं लिखा है इसलिए सांपों की पूजा बिल्कुल व्यर्थ है।
पूजा किसकी करनी चाहिए -
यह बड़ा ही महत्वपूर्ण विषय है कि पूजा किसकी करनी चाहिए और इसका उत्तर प्रमाण के साथ मील जाए तो बड़ा ही अद्भुत होगा।
वेदों में केवल एक पूर्ण परमेश्वर कविर्देव(कबीर साहेब) की भगती करने के बारे में बताया है जिसका समर्थन गीताजी भी करती है साथ साथ क़ुरआन , बाइबिल तथा गुरुग्रंथ साहेब भी करती हैं साथ साथ यह भी बताया है कि कबीर परमेश्वर अपने साधक के सभी पापों को समाप्त कर देता और सत्य भगती करवा कर पूर्ण मोक्ष प्रदान करता है जिसके बारे में गीता अध्याय18 श्लोक 66 में बताया है।
कैसे प्राप्त करें सत्य भगती -
आज वर्तमान समय मे एक मात्र सच्चे पुर्ण तत्वदर्शी सन्त सतगुरु रामपाल जी महाराज(बरवाला, हिसार हरियाणा) हैं जो शास्त्रों के अनुसार भगती साधना बताते हैं।
सभी को सन्त रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझ कर भगती को अपनाना चाहिए जो कि वास्तविक मनुष्य का मूल कर्तव्य है जिससे लोक तथा परमलोक दोनों का सुख प्राप्त हो सकें।
Naag Panchami
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अधिक जानकारी के लिए देखें सन्त रामपाल जी महाराज जी के मंगल सत्संग प्रवचन साधना टीवी पर रात 7:30 बजे से रोज।

Wednesday, June 24, 2020

सच्चा रक्षक

सच्चा रक्षक हमारा
इंसान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले चाहे वह कितना भी सामर्थ्य वान बन जाए लेकिन एक ना एक समय ऐसा आता है जब उसे सहायता की आवश्यकता पड़ती है चाहे वह अकेले उसे पढ़े यह संपूर्ण मानव जाति को आवश्यकता पड़ मनुष्य को सहायता की आवश्यकता पड़ती है उसके ऊपर आई हुई आपत्तियों से रक्षा की आवश्यकता पड़ती है जिसमें मनुष्य कुछ प्रयास स्वयं के तैयार रखता है परंतु अधिकतम बार मनुष्य के प्रयास विफल हो जाते हैं।

इतिहास गवाह है कि जब जब इंसान अपनी तरक्की एवं उत्थान का कार्य करने का प्रयास किया है तब तब मनुष्य ने अपने लिए मुसीबतें और दुख खड़े कर लिए ऐसे में आधुनिकता की तरफ बढ़ते हुए इंसान हैं अंत में अध्यात्म को ही अपना सहायक पाया है ।
बहुत ही बड़ी विडंबना कहें या फिर इसे हमारा दुर्भाग्य समझे की पूरे विश्व में जितने भी धर्म बने हुए हैं जितने भी संप्रदाय बने हैं उन सभी में बताया तो यह जाता है कि सभी को बनाने वाला राम , परमेश्वर, भगवान, खुदा , अल्लाह तथा रब एक ही है वही है हम सब का उत्पत्ति करने वाला परंतु सभी धर्मों में उसे पाने की कोई भी प्रमाणित एवं उत्तम क्रिया साधना नहीं नजर आती जिसका प्रमाण मौजूदा धर्म के पवित्र आध्यात्मिक शास्त्रों में है।

इंसान दुखों में क्यों घिरता है -

पवित्र धर्म के पवित्र शास्त्रों को यथार्थ मानने पर जो कि वास्तव में यथार्थ हैं जाता है इंसान को उसके प्रारब्ध के कर्मों से सुख एवं दुख की प्राप्ति होती है पाप कर्मों की वजह से दुख होते हैं पुण्य कर्मों की वजह से सुख को प्राप्त होते हैं यही एकमात्र कारण है इंसान के ऊपर आने वाले दुख होगा जिसका समाधान वर्तमान समय में प्रचलित किसी भी धर्म में की जाने वाली भक्ति क्रिया साधना से संभव नहीं है फिर आखिर इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है।
क्या धर्मों में मौजूद अपने आप को धर्म गुरु कहलाने वाले लोगों की बातें मानने तो उनके अनुसार प्रारब्ध का कर्म तो भोगने से ही समाप्त होता है इनके विधान अनुसार तो मनुष्य कभी सुखी नहीं प्राप्त कर सकता।

हमारा वास्तविक रक्षक कौन है -
हमारा वास्तविक रक्षक वही पूर्ण परमात्मा है जिसने हमें जन्म दिया हमें उत्पन्न किया जो परमात्मा सुख दायक है वह कभी हमें कोई दुख नहीं देता उसकी प्राप्ति और उसके द्वारा बताई गई भक्ति विधि को करने से मनुष्य अपने जीवन में सभी दुखों से बच सकता है जिस प्रकार गीता जी में बताया है कि अर्जुन जन्म तथा मृत्यु के दीर्घ रोग से बचने के लिए उस पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करो जिसको प्राप्त होकर वापस साधक इस संसार में कभी लौटकर नहीं आता उस परमेश्वर की भक्ति किसी तत्वदर्शी संत से प्राप्त करो।
भक्ति साधना करने से ही मनुष्य अपने की सभी पापों से तथा उनसे मिलने वाले कारणों से बच सकता है।
वह वास्तविक राम वह परमेश्वर वह अल्लाह वह रब कोई और नहीं कविर्देव हैं कबीर परमेश्वर जिन्हें हमारे समाज में एक कवि के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है जो भी हमारे वेदों में वर्णित है कि वह पूर्ण परमात्मा जब भी धरती पर आता है तो अपना ज्ञान अपने मुख कमल से बोल बोल कर सुनाता है तथा प्रसिद्ध कवियों में से एक कवि कहलाता है यही प्रमाण गीता जी में है की वह सच्चिदानंदघन ब्रह्म अपना ज्ञान अपने मुख कमल से उच्चारण करके सुनाता है।
सच्चे रक्षक कबीर परमेश्वर के वास्तविक भक्ति साधना कैसे प्राप्त हो-

आज वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं जिनका वर्णन गीताजी के अध्याय 4 के श्लोक 34 में है जो वास्तविक तत्वदर्शी संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज ने पवित्र सभी धर्मों के सभी शास्त्रों से प्रमाणित करके बताया है कि वह परमेश्वर वह अल्लाह वह रब वह खुदा कबीर हैं जो हमारा वास्तविक उत्पत्ति करता है उन्हीं परमेश्वर की भक्ति संत रामपाल जी महाराज से प्राप्त करके सभी दुखों से बचा जा सकता है वही सच्चा रक्षक कबीर परमात्मा हमारी रक्षा प्रत्यक्ष रूप से करने लगते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य -
वर्तमान समय में सभी धर्मों में पाखंडवाद चरम सीमा पर है जिसकी वजह से प्रचलित धर्मों के ठेकेदारों मौलाना पंडितों पादरियों तथा अन्य धर्म गुरु के द्वारा साधकों को गलत भक्ति साधना करवाना मुख्य कारण जिसमें एक परमेश्वर को छोड़कर अन्य देवी-देवताओं की पूजा साथ करवाने से प्रारब्ध भोगना ही पड़ता है मनुष्य को ।

कभी परमेश्वर ने कहा है - 

माई मसानी सेढ शीतला भैरव भूत हनुमंत। परमात्मा उनसे दूर है जो इनको पूजन्त।।

गीता जी में बताया है -
शास्त्र विधि को त्याग कर जो मन माना आचरण करते हैं उन्हें ना तो कोई सिद्धि प्राप्त होती है ना ही उनकी गति होती है ना ही है कोई अन्य लाभ प्राप्त होता है।

परमेश्वर कबीर जी का इतिहास हम देखते हैं तो कबीर परमेश्वर चारों में आकर हमेशा चमकती हम बताते हैं तथा हमारी अप्रत्यक्ष रूप से रक्षा सदैव करते हैं 
कबीर साहिब कहते हैं -

सतयुग में सत सुकृत कह टेरा , त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरे।
 द्वापर में करुणामय कहाया , कलयुग नाम कबीर धर आया।।

विश्व के सभी मानव समाज से निवेदन है कि जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान को सुनकर समझ कर शास्त्रों को देखकर प्रमाणित करके संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करें तथा उस वास्तविक परमात्मा जो हमारा सच्चा रक्षक है उनकी शरण ग्रहण करें जिससे हमारा अनमोल मनुष्य जीवन जिसके विषय मे गीता ,कुरान ,बाइबल आदि में सांकेतिक रूप से वर्णित पूर्ण मोक्ष हमे प्राप्त होगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते हैं -

मनुष्य जन्म दुर्लभ है ये मिले ना बारम्बार।
पेड़ से पत्ता टूट गिरे ,बहुर ना लगता डार।।

सच्चे रक्षक कबीर परमेश्वर की शरण प्राप्त करें संत रामपाल जी महाराज के दसानिध्य में आकर।
अवश्य देखें साधना टीवी के लिए रोज रात 7:30 बजे से

www.jagatgururampalji.org

                                🙏सत साहेब🙏

Wednesday, June 10, 2020

बाईबल का ज्ञान

                       परमात्मा की दया से
एक कदम बाईबल की ओर -
आज संपूर्ण विश्व में सबसे अधिक ईसाई धर्म को मानने वाले लोग हैं पवित्र ईसाई धर्म मे प्रचलित पवित्र पुस्तक बाइबल ईसाई धर्म का आधार है आप सभी को यह जानकारी हैरानी होगी कि पवित्र बाइबल पवित्र तीन आसमानी किताबों ज़बूर तौरेत व इंजील का संग्रह है इस पवित्र पुस्तक बाइबल में परमेश्वर का विधान एवं मनुष्य को नसीहत है यह संपूर्ण मानव जाति के लिए है।
ईसाई धर्म में आदम को सबसे पहला मनुष्य माना जाता है उनसे पहले कोई भी नहीं था यह धारणा बनी हुई है तथा उनकी पत्नी हव्वा के सहयोग से ही संपूर्ण मानव जाति का उत्थान होगा

आपको बताया जाता है कि यह मिथ्या धारणा है की आदम से पहले कोई भी नहीं था जैन धर्म के प्रवर्तक ऋषभदेव जोगी नाभि राज के पुत्र थे उस जीव का जन्म आगे चलकर बाबा आदम के रूप में हुआ यह प्रमाण आओ जैन धर्म को जाने पुस्तक के 154 प्रश्न वर्णित है इससे सिद्ध हुआ आदम से भी पहले मनुष्य थे

बाईबल में सृष्टि रचना का प्रमाण-
पवित्र बाइबल के उत्पत्ति ग्रंथ में सृष्टि रचना को स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया इसमें बताया है कि परमेश्वर ने 6 दिन में सृष्टि की रचना करें कथा सातवें दिन अपने निजी स्थान पर जाकर तत्व पर विश्राम किया इन्हीं 6 दिनों के अंतर परमेश वर्मा पृथ्वी जल आकाश तथा इन के मध्य जितने भी जीव मनुष्य आदि हैं उनकी रचना करी।

परमेश्वर द्वारा मनुष्य को दिए गए आदेश -
•परमेश्वर ने मनुष्य को खाने के लिए फलदार वृक्ष बीज दर पौधे आदि दिए।

•परमेश्वर ने मनुष्य को नाते रिश्ते बना कर दी तथा उन्हें शालीनता से निभाने का आदेश दिया।

•परमेश्वर ने मनुष्य को पृथ्वी पर रेंगने वाले , उड़ने वाले व चलने वाले पशु एवं पक्षियों तथा जलचर आदि की देखभाल के आदेश दिए।

बाईबल में 2 प्रकार का ज्ञान-

पवित्र बाइबल में बताया है परमेश्वर ने 6 दिन में सृष्टि रची कथा सातवें दिन तख्त पर जाकर विश्राम किया इससे सिद्ध होता है कि जिस परमेश्वर ने सृष्टि की रचना करें और वह अपने निजी स्थान पर वापस चला गया।
बाइबिल में आगे का ज्ञान दूसरे प्रभु जिसे सभी निराकार ईश्वर कहते हैं को परमेश्वर ने संपूर्ण बागडोर संभला दी थी कि द्वारा बताया गया है।
पवित्र बाइबल में लिखा है यहोवा ईश्वर ने आदम को बुद्धि वाला फल खा लेने के बाद कहा कि यदि इसने अमर होने वाला फल खा लिया तो यह हम में से एक हो जाएगा इससे सिद्ध होता है कि आदम के ईश्वर से अलग भी कोई भगवान हैं वे तीनों देवता ब्रह्मा जी विष्णु जी शिव जी हैं ।

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सन्त गरीब दास जी ने बताया है
वही मोहम्मद वही महादेव , वही आदम वही ब्रह्मा ।
दास गरीब दूसरा कौन है , देख अपने घर मा।।
मोहम्मद साहब महादेव जी के लोक से आए थे तथा आदम ब्रह्मा जी आपसे तभी यहोवा ईश्वर ने कहा कि यह हम में से एक हो जाएगा यदि उसने अमर होने का फल खा लेता तो।
ब्रह्मा विष्णु शिव जी के पिताजी ब्रह्म जिन्हें काल भगवान भी कहा जाता है जो गीता ज्ञान दाता हैं वही ईसा मसीह जी के द्वारा बाइबिल का ज्ञान देने वाले हैं।

वास्तविक परमेश्वर के संकेत -
पवित्र बाइबल में जगह-जगह यथा स्थान पर बताया है कि वह सर्व सुखदायक परमेश्वर कबीर हैं वही सबसे पवित्र और परम है।

ईसा मसीह को भी परमेश्वर कबीर जी मिले तथा उन्हें एक परमेश्वर की भक्ति की तरफ प्रेरित किया जिसके चलते ईसा मसीह जी में सिर्फ एक परमेश्वर की भक्ति साधना की ओर दिशा निर्देश दिए तथा अन्य देवी देवताओं की पूजा का खंडन किया जिसके चलते उन्हें घोर विरोध का भी सामना करना पड़ा परंतु दुखद यह है रहा काल भगवान ने सीजी को भ्रमित रखकर पूर्ण परमेश्वर के भक्ति मार्ग से दूर कर दिया
पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर कबीर साहेब काल भगवान के पिताजी हैं जिन्होंने सर्व ब्रह्मांड की रचना करी वही है जो सबके उत्पत्ति करता है जिनकी भक्ति साधना करने से पूर्ण मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है जिसे प्राप्त करके वापस जन्म तथा मृत्यु में ना आना पड़े।
वर्तमान समय मे वास्तविक बाख़बर /तत्वदर्शी सन्त -
आज वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज कुरान शरीफ में वर्णित बाखबर हैं जो उस अल्लाह की जानकारी और उन्हें प्राप्त करने की विधि तत्वज्ञान के साथ बताते हैं संत रामपाल जी महाराज वही तत्वदर्शी संत हैं जिनका जिक्र गीता जी अध्याय 4 के श्लोक 34 में किया गया है वास्तविक सत्य भक्ति प्रदान करने वाले संत हैं।

जिस प्रकार ईसा मसीह जी को विरोध का सामना एक प्रभु कु भगती करने तथा करवाने के कारण समाज के द्वारा दिया गया था आज वर्तमान में वही स्थिति सत भक्ति साधना संपूर्ण मानव समाज को बताने के वजह से संत रामपाल जी महाराज को भी देखनी पड़ रही है अज्ञानी धर्मगुरुओं की संत रामपाल जी महाराज का विरोधी राजा तथा प्रजा के द्वारा करवाया जा रहा है।
संत रामपाल जी महाराज वर्तमान समय में वेदों बाइबल कुरान असंग साहेब के अनुसार यह प्रमाणित कर रहे हैं कि वह परमेश्वर वह अल्लाह वह रब वह भगवान असली राम पूर्णब्रह्म परमात्मा कबीर साहेब जी हैं।
आज संत रामपाल जी महाराज के द्वारा यथार्थ शास्त्र अनुकूल भक्ति प्रदान करे जा रहे हैं जो पूर्ण मोक्ष जाएगा तथा सुखदायक है।

आप सभी देखें परमेश्वर के सत्य ज्ञान रूपी सत्संग प्रवचन रोज रात साधना टीवी पर 7:30 बजे
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Sunday, May 31, 2020

अमर परमात्मा

अमर परमेश्वर -
यह संपूर्ण सृष्टि विनाश में आती है और इसके अंतर्गत जितने भी जीव पशु पक्षियों पेड़ों से लेकर मनुष्य तक सभी इस सृष्टि के साथ समाप्त हो जाते हैं अजर अमर अविनाशी जिसे मारने में कोई भी समर्थ नहीं है वह परमात्मा है जिन्होंने यह सारी दुनिया बनाई ब्रह्मांड बनाएं और उनके अंतर्गत आने वाले सब जीवों को बनाया।
जिस परमात्मा की गवाही विश्व भर में सभी धर्म तथा उनकी धार्मिक पवित्र पुस्तकें  देती हैं वह परमेश्वर जिसे हम परमात्मा , राम , भगवान खुदा , रब , अल्लाह आदि आदि उपमात्मक नामों से जाना जाता है उनका वास्तविक नाम कविर्देव है कबीर परमेश्वर है अल्लाह हू अकबर है।
वह कबीर परमात्मा चारों युगों में धरती पर आकर अपना सत्य ज्ञान खुद अपने मुख कमल से बोलकर अपने प्यारी आत्माओं को बताकर और उन्हें यथार्थ भक्ति विधि देखकर अपने साथ पूर्ण मोक्ष करवाकर सतलोक ले जाते हैं।

परमात्मा का चारों युगों में आने का प्रमाण-

परमेश्वर कबीर साहिब जी की वाणी है
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा ,
त्रेता नाम मुनींद्र मेरा ।
द्वापर में करुणामै कहाया, कलयुग नाम कबीर धर आया।।
कलयुग में परमेश्वर अपने वास्तविक कबीर नाम से सहशरीर प्रकट होते हैं माता के गर्भ से जन्म नहीं लेते।
जब वह परमात्मा 600 वर्ष पहले काशी शहर के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए थे तब से उनकी कलयुग में लीला शुरू हुई थी परमेश्वर 120 वर्ष काशी में रहकर और अनेकों जीवो को सत्य ज्ञान बताकर सुखी किया तथा तत्वज्ञान से परिचित करवाया उस समय उनके 64 लाख शिष्य हो गए थे इसी के दौरान बहुत सी समस्याओं परेशानियों और विरोध का सामना भी करना पडा जोकि आम मनुष्य के वश की बात नहीं थी।
परमेश्वर कबीर साहिब जी के 64 लाख शिष्यों में से एक शिष्य दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी भी थे जिनके जलन का रोग परमेश्वर कबीर जी ने समाप्त किया था
बादशाह सिकंदर लोधी के धार्मिक पीर जिसका नाम शेखतकी था वह परमेश्वर कबीर जी से ईर्ष्या करता था तथा अनेकों मौके ढूंढता था जब परमेश्वर कबीर जी को नीचा दिखा सकें , शेखतकी ने 52 बार अलग-अलग तरीकों से परमेश्वर कबीर साहेब का मरवाने की कोशिश करी थी परंतु वह असमर्थ रहा बार-बार अपमानित करने की कोशिश करी थी परंतु परमेश्वर जनता की नजरों में सम्मानित होते गए और उस समय हुए अद्भुत अनमोल चमत्कारों से परमेश्वर ने अपने सभी बच्चों तक अपना ज्ञान पहुंचाया और उन्हें अपनी शरण में लिया ।

शेख तकी द्वारा की गई 52 बदमाशियां -

• शेखतकी के द्वारा मुर्दे को जिंदा करने की चुनौती देना परमेश्वर के द्वारा कमाल को जीवित करना।

• शेखतकी की पुत्री जो कुछ दिन पहले मृत्यु को प्राप्त हुई थी उसे कब्र से निकलवा कर जीवित करना जिससे उसका नाम कमाली रखा गया।
• ईश्वर कबीर जी ने मरी हुई गाय को जीवित किया।
• शेखतकी द्वारा कबीर परमेश्वर को उबलते तेल के कड़ाही में डलवा देना।
• परमेश्वर कबीर जी को झेरे कुवे में डलवा कर मारने की कोशिश करना।
• काशी में शेखतकी द्वारा परमात्मा कबीर साहेब जी को बदमाशों के द्वारा तलवार से कटवाने का असफल प्रयास करना।
• परमेश्वर कबीर जी को सूलों से छलनी करवाने का असफल प्रयास करना।
• कबीर परमेश्वर के ऊपर चार पहर(12घण्टे) तक तीर, तोप के गोले दागना।
• बेड़ियों से बांधकर गंगा दरिया में डुबो देने की कोशिश करना।
• कबीर परमेश्वर के नाम से झूठी 3 दिन के भंडारे की चिट्ठी डलवा कर 18 लाख साधु-संतों को इकट्ठा करना।
आदि आदि इस प्रकार 52 प्रकार के बदमाशियां की थी।

परंतु परमेश्वर कबीर जी का बाल भी बांका नहीं हुआ क्योंकि वह स्वयं पूर्णब्रह्म परमात्मा जिन्होंने सारे ब्रह्मांड और सर्व सृष्टि के रचनकर्ता हैं तथा उन्होंने किसी का अहित नहीं किया किसी को मारा नहीं क्योंकि वह सभी परमेश्वर के ही बच्चे हैं।
वास्तविक परमात्मा कभी किसी का अहित नहीं करते क्योंकि सर्व सृष्टि के जीव  उनकी संतान हैं उनके बच्चे हैं और वह परमेश्वर प्रेम तथा ज्ञान सत्य भक्ति से सभी को सुखी करते हैं और मोक्ष दायक भक्ति प्रदान करवा कर सतलोक लेकर चले जाते हैं जहां से वापस लौटकर जीव कभी संसार में नहीं आता वही वास्तविक शाश्वत स्थान है।
 आज वर्तमान समय में हम सभी विश्व् के मनुष्यों को उस पूर्ण परमात्मा कबीर बंदी छोड़़ जी की सत्य भक्ति संत रामपाल जी महाराज से प्राप्त करनी चाहिए ।
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                                 सत साहेब जी
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Wednesday, May 20, 2020

साधारण विवाह अनमोल जीवन बन्धन

विवाह -
विवाह मानव समाज की अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रथा है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई परिवार का मूल है। इसे मानव जाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान साधन माना जाता है।

विवाह, जिसे शादी भी कहा जाता है, दो लोगों के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके और किसी भी परिणामी जैविक या दत्तक बच्चों तथा समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता है।

विवाह का असाधारण होना -

आज के दौर में बेटी की शादी करना मुश्किल होता जा रहा हे।कुछ वजह महगाई भी है।और कुछ रीती रिवाज के नाम पर।
धीरे-धीरे समाज की सबसे बुरी प्रथा दहेजप्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी सामाजिक प्रथाओं में से एक हैं हालांकि दुर्भाग्य से सरकार और विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद यह बदनाम प्रथा अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है।
शादीयों में होने वाला खर्चा कई बार लड़की के परिवार को कर्जदार बना देता है
आज के दौर में बेटी की शादी करना मुश्किल होता जा रहा है और कुछ रीती रिवाज के नाम पर और समाज के उन लोगों से जो बेटी के पिता की परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते ।

दहेज प्रथा की शुरुआत की गई थी जो लड़कियों को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए एक सभ्य प्रक्रिया के रूप में शुरू की गई, क्योंकि वे नए सिरे से अपना जीवन शुरू करती हैं, धीरे-धीरे समाज की सबसे बुरी प्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी सामाजिक प्रथाओं में से एक है जिसका समाज को समृद्ध करने के लिए उन्मूलन की जरूरत है। हालांकि दुर्भाग्य से सरकार और विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद यह बदनाम प्रथा अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है।
कुछ लोगों के लिए दहेज प्रथा एक सामाजिक प्रतीक से अधिक है। लोगों का मानना है कि जो लोग बड़ी कार और अधिक से अधिक नकद राशि दूल्हे के परिवार को देते हैं इससे समाज में उनके परिवार की छवि अच्छी बनती है। इसलिए भले ही कई परिवार इन खर्चों को बर्दाश्त ना कर पाएं पर वे शानदार शादी का प्रबंध करते हैं और दूल्हे तथा उसके रिश्तेदारों को कई उपहार देते हैं। यह इन दिनों एक प्रतियोगिता जैसा हो गया है जहाँ हर कोई दूसरे को हराना चाहता है।

वर्तमान समय में शादियों में खर्चा करना एक प्रचलन सा बन चुका है।
हमारे समाज में कुछ अमीर लोगों की वजह से गरीब लोगों को शादियों के अंदर बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। और एक गरीब बाप बेटी की शादी में दहेज के बोझ के नीचे तब कर ही मर जाता है।

दहेज वाले विवाह के दुष्परिणाम -
●यह सच्चाई छुपाए नहीं छुप्ती की दहेज की मांग जिन शादियों में होती है या जिन शादियों में दहेज का लेनदेन किया जाता है बेटियों पर अत्याचार और जुल्म भी अधिक से अधिक उन्ही रिश्तो में होते है जिसकी वजह से दहेज रूपी राक्षस से प्रताड़ित बेटियां को जिंदा जला दिया जाता है या बेटियां आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं।
●कुछ-कुछ देखने में आया है दहेज के नाम पर लड़की के पक्ष वालों द्वारा झूठे मुकदमे दहेज के भी बनाए जाते हैं और लड़के के पक्ष वालों को अनायास प्रताड़ित किया जाता है।
●प्रतिवर्ष दहेज के कारण आत्महत्या या फिर हत्या कर देना और दहेज के नाम पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने की वजह से लाखों बेटियां जान दे देती हैं और लाखों परिवार बर्बाद हो जाते हैं।

साधारण एवं उत्तम विवाह के लिए प्रयास -
संत रामपाल जी महाराज अपने आध्यात्मिक सत्संग प्रवचनों में बताते हैं कि दहेज एक बहुत बड़ा अभिशाप है और यह है परमात्मा के संविधान के खिलाफ है इसे पूर्ण रूप से समाप्त कर देना चाहिए।
संत रामपाल जी महाराज का उनके अनुयायियों को निर्देश है कि बिल्कुल सादगी से बिना किसी बैंड बाजा बारात के बिना किसी दहेज लेनदेन के विवाह करना अनिवार्य है।

साधारण उत्तम विवाह-
रामपाल जी महाराज का कहना है कि विवाह केवल दो बच्चों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करता है जो केवल वचन से होता है जिसमें वर्तमान समय में प्रचलित है आडंबर और दिखावे की कोई आवश्यकता नहीं है।
रामपाल जी महाराज के विचारों से प्रभावित होकर उनके लाखों शिष्य उनके बताए हुए मार्गदर्शन में दहेज रहित विवाह जिसे वे रमणी नाम देते हैं करते हैं जो मात्र 17 मिनट में यह विवाह करवाया जाता है इसका पूरा खर्च संत रामपाल जी महाराज के द्वारा उठाए जाते हैं।
तो हमें आवश्यकता है एक ऐसे समाज की जिसमें गरीब अमीर सभी एक समान हो संत जी के अनुयाई जो चाहे गरीब हो या अमीर सभी एक समान है और बिना किसी दहेज के, बिना किसी खर्चे के मात्र 17 मिनट में शादियां करते हैं जो कि हमारे समाज में उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो शादियों में बहुत खर्चा करते हैं और गरीब लोगों के लिए एक मिसाल है।
संत रामपाल जी महाराज का एक सपना दहेज मुक्त हो भारत अपना

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कावड़ यात्रा

भारत में सबसे अधिक प्रचलन में यहां के भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न आस्थाओं के साथ त्यौहारों का मनाना प्रचलन में आता है और ...