Wednesday, June 24, 2020

सच्चा रक्षक

सच्चा रक्षक हमारा
इंसान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले चाहे वह कितना भी सामर्थ्य वान बन जाए लेकिन एक ना एक समय ऐसा आता है जब उसे सहायता की आवश्यकता पड़ती है चाहे वह अकेले उसे पढ़े यह संपूर्ण मानव जाति को आवश्यकता पड़ मनुष्य को सहायता की आवश्यकता पड़ती है उसके ऊपर आई हुई आपत्तियों से रक्षा की आवश्यकता पड़ती है जिसमें मनुष्य कुछ प्रयास स्वयं के तैयार रखता है परंतु अधिकतम बार मनुष्य के प्रयास विफल हो जाते हैं।

इतिहास गवाह है कि जब जब इंसान अपनी तरक्की एवं उत्थान का कार्य करने का प्रयास किया है तब तब मनुष्य ने अपने लिए मुसीबतें और दुख खड़े कर लिए ऐसे में आधुनिकता की तरफ बढ़ते हुए इंसान हैं अंत में अध्यात्म को ही अपना सहायक पाया है ।
बहुत ही बड़ी विडंबना कहें या फिर इसे हमारा दुर्भाग्य समझे की पूरे विश्व में जितने भी धर्म बने हुए हैं जितने भी संप्रदाय बने हैं उन सभी में बताया तो यह जाता है कि सभी को बनाने वाला राम , परमेश्वर, भगवान, खुदा , अल्लाह तथा रब एक ही है वही है हम सब का उत्पत्ति करने वाला परंतु सभी धर्मों में उसे पाने की कोई भी प्रमाणित एवं उत्तम क्रिया साधना नहीं नजर आती जिसका प्रमाण मौजूदा धर्म के पवित्र आध्यात्मिक शास्त्रों में है।

इंसान दुखों में क्यों घिरता है -

पवित्र धर्म के पवित्र शास्त्रों को यथार्थ मानने पर जो कि वास्तव में यथार्थ हैं जाता है इंसान को उसके प्रारब्ध के कर्मों से सुख एवं दुख की प्राप्ति होती है पाप कर्मों की वजह से दुख होते हैं पुण्य कर्मों की वजह से सुख को प्राप्त होते हैं यही एकमात्र कारण है इंसान के ऊपर आने वाले दुख होगा जिसका समाधान वर्तमान समय में प्रचलित किसी भी धर्म में की जाने वाली भक्ति क्रिया साधना से संभव नहीं है फिर आखिर इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है।
क्या धर्मों में मौजूद अपने आप को धर्म गुरु कहलाने वाले लोगों की बातें मानने तो उनके अनुसार प्रारब्ध का कर्म तो भोगने से ही समाप्त होता है इनके विधान अनुसार तो मनुष्य कभी सुखी नहीं प्राप्त कर सकता।

हमारा वास्तविक रक्षक कौन है -
हमारा वास्तविक रक्षक वही पूर्ण परमात्मा है जिसने हमें जन्म दिया हमें उत्पन्न किया जो परमात्मा सुख दायक है वह कभी हमें कोई दुख नहीं देता उसकी प्राप्ति और उसके द्वारा बताई गई भक्ति विधि को करने से मनुष्य अपने जीवन में सभी दुखों से बच सकता है जिस प्रकार गीता जी में बताया है कि अर्जुन जन्म तथा मृत्यु के दीर्घ रोग से बचने के लिए उस पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करो जिसको प्राप्त होकर वापस साधक इस संसार में कभी लौटकर नहीं आता उस परमेश्वर की भक्ति किसी तत्वदर्शी संत से प्राप्त करो।
भक्ति साधना करने से ही मनुष्य अपने की सभी पापों से तथा उनसे मिलने वाले कारणों से बच सकता है।
वह वास्तविक राम वह परमेश्वर वह अल्लाह वह रब कोई और नहीं कविर्देव हैं कबीर परमेश्वर जिन्हें हमारे समाज में एक कवि के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है जो भी हमारे वेदों में वर्णित है कि वह पूर्ण परमात्मा जब भी धरती पर आता है तो अपना ज्ञान अपने मुख कमल से बोल बोल कर सुनाता है तथा प्रसिद्ध कवियों में से एक कवि कहलाता है यही प्रमाण गीता जी में है की वह सच्चिदानंदघन ब्रह्म अपना ज्ञान अपने मुख कमल से उच्चारण करके सुनाता है।
सच्चे रक्षक कबीर परमेश्वर के वास्तविक भक्ति साधना कैसे प्राप्त हो-

आज वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं जिनका वर्णन गीताजी के अध्याय 4 के श्लोक 34 में है जो वास्तविक तत्वदर्शी संत हैं।
संत रामपाल जी महाराज ने पवित्र सभी धर्मों के सभी शास्त्रों से प्रमाणित करके बताया है कि वह परमेश्वर वह अल्लाह वह रब वह खुदा कबीर हैं जो हमारा वास्तविक उत्पत्ति करता है उन्हीं परमेश्वर की भक्ति संत रामपाल जी महाराज से प्राप्त करके सभी दुखों से बचा जा सकता है वही सच्चा रक्षक कबीर परमात्मा हमारी रक्षा प्रत्यक्ष रूप से करने लगते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य -
वर्तमान समय में सभी धर्मों में पाखंडवाद चरम सीमा पर है जिसकी वजह से प्रचलित धर्मों के ठेकेदारों मौलाना पंडितों पादरियों तथा अन्य धर्म गुरु के द्वारा साधकों को गलत भक्ति साधना करवाना मुख्य कारण जिसमें एक परमेश्वर को छोड़कर अन्य देवी-देवताओं की पूजा साथ करवाने से प्रारब्ध भोगना ही पड़ता है मनुष्य को ।

कभी परमेश्वर ने कहा है - 

माई मसानी सेढ शीतला भैरव भूत हनुमंत। परमात्मा उनसे दूर है जो इनको पूजन्त।।

गीता जी में बताया है -
शास्त्र विधि को त्याग कर जो मन माना आचरण करते हैं उन्हें ना तो कोई सिद्धि प्राप्त होती है ना ही उनकी गति होती है ना ही है कोई अन्य लाभ प्राप्त होता है।

परमेश्वर कबीर जी का इतिहास हम देखते हैं तो कबीर परमेश्वर चारों में आकर हमेशा चमकती हम बताते हैं तथा हमारी अप्रत्यक्ष रूप से रक्षा सदैव करते हैं 
कबीर साहिब कहते हैं -

सतयुग में सत सुकृत कह टेरा , त्रेता नाम मुनीन्द्र मेरे।
 द्वापर में करुणामय कहाया , कलयुग नाम कबीर धर आया।।

विश्व के सभी मानव समाज से निवेदन है कि जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान को सुनकर समझ कर शास्त्रों को देखकर प्रमाणित करके संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करें तथा उस वास्तविक परमात्मा जो हमारा सच्चा रक्षक है उनकी शरण ग्रहण करें जिससे हमारा अनमोल मनुष्य जीवन जिसके विषय मे गीता ,कुरान ,बाइबल आदि में सांकेतिक रूप से वर्णित पूर्ण मोक्ष हमे प्राप्त होगा।
परमेश्वर कबीर जी कहते हैं -

मनुष्य जन्म दुर्लभ है ये मिले ना बारम्बार।
पेड़ से पत्ता टूट गिरे ,बहुर ना लगता डार।।

सच्चे रक्षक कबीर परमेश्वर की शरण प्राप्त करें संत रामपाल जी महाराज के दसानिध्य में आकर।
अवश्य देखें साधना टीवी के लिए रोज रात 7:30 बजे से

www.jagatgururampalji.org

                                🙏सत साहेब🙏

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