नशा क्या है
वैसे तो समय-समय पर अनेकों तरीके की समस्याएं अनेकों तरीकों की परेशानियां सारे देश दुनिया विश्व में देखी जाती हैं जिनमें से कुछ ऐसी होती हैं जो आती हैं कुछ समय बाद चली जाती हैं और कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जो निरंतर साथ साथ चलती रहती हैं वह मनुष्य को शारीरिक मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित करती रहती हैं उन्हीं परेशानियों में से एक जिसे हम गलत कह सकते हैं जिसे हम मानसिक बीमारी कह सकते हैं जो व्यक्ति विशेष छोड़ नहीं पाता उसे नशा कहते हैं।
आज विश्व भर में बहुत बड़ी संख्या में नशे को किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है जोकि शारीरिक मानसिक तथा आर्थिक तीनों रूप से बहुत ही नुकसानदायक होता है •इसमें सर्वप्रथम शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
• दूसरा इसमें आर्थिक रूप से परिवार को तथा स्वयं को कठिन समस्याओं से गुजरना पड़ता है।
• तीसरा इसमें आर्थिक रूप से कमजोर होने तथा शारीरिक रूप से कमजोर होने पर सामाजिक दायित्व ना निभाने की वजह से मानसिक तनाव प्रभाव डालता है।
कोई भी मनुष्य इन तीन प्रकार के तनाव से किसी न किसी तरीके से ग्रसित होकर क्या तो अपना अस्तित्व समाप्त कर देता है या उस व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है।
नशे के फैलने के कारण -
नशे की निरंतर रूप से बढ़ने तथा फैलने का कारण अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग देखा जाता है।
•कहीं पर तो नशा पारिवारिक परिवेश में होने की वजह से वंशवाद में ही प्राप्त हो जाता है जैसे किसी बच्चे ने बचपन से अपने बड़ों को नशा करते हुए देखा हो चाहे वह शराब का हो चाहे वह धूम्रपान का हो या अन्य किसी प्रकार का उस बच्चे के लिए नशा पुश्तैनी वस्तु हो जाती है।
• कुछ-कुछ जगह पर नशा उम्र के अनुसार विशेष तौर पर युवा होने पर गलत संगत का साथ हो जाने पर जिंदगी का दामन थाम लेता है जो जिंदगी को खत्म कर के छोड़ता है।
• ज्यादातर देखने में आया है कोई भी व्यक्ति जब अपनी जीवन में आने वाली परेशानियों से ठीक तरीके से सामने नहीं कर पाता तो अपने मानसिक तनाव को खत्म करने के लिए है नशे का साथ अपनाता है जिससे परेशानी तो दूर नहीं होती साथ-साथ आर्थिक एवं शारीरिक परेशानियां और साथ हो जाती हैं।
इसी प्रकार और भी बहुत से कारण होते हैं जिसमें इंसान अपनी जिंदगी में नशे की लत को अपनाता है जिसमें से अब आपके सामने सबसे महत्वपूर्ण और सबसे मुख्य कारण नशे को अपनाना और उसके फैलाव के लिए जिम्मेदार होता है आपको बताया जा रहा है।
नशा हो या अन्य कोई भी बुरी आदत हो वह आध्यात्मिक ज्ञान हीनता के कारण ही पनपता है जिसे रोकने का मनुष्य के पास उचित कोई उपाय नहीं होता जिसकी वजह से वह इन समस्याओं से गिरकर अपने आप को समाप्त महसूस करता है और उस लत से ग्रसित होकर अपना जीवन समाप्त कर जाता है।
कबीर साहब कहते हैं-
सुरापान मद मांसाहारी , गवन करे भोगे परनारी ।
सत्तर जन्म कटेंगे शीशम(शीश), साक्षी साहब है जगदीशम।।
भावार्थ- कभी साहब कहना चाहते हैं कि यह परमेश्वर का विधान है कि यदि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सिर्फ एक बार मांस खाता है या शराब पीता है या दुराचार करता है आदि सिर्फ एक बार जीवन में करने की सजा प्राप्त होती है इस मानव शरीर के छूटने के पश्चात लगातार सत्तर जन्मों में गला कटने से मृत्यु को प्राप्त होता है।
यह मुख्य कारण है मनुष्य आध्यात्मिक ज्ञान हीनता के कारण नशे को अपनाता है तथा नशा बड़ी तेजी से उस व्यक्ति के जीवन को अंधकार में घेर लेता है तथा उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति उससे प्रभावित होकर नशे की लत को अपनाते हैं और अपना तथा अपने परिवार का जीवन अंधकार में कर लेते हैं।
नशे के जाल से बचने का उपाय विफल उपाय सरकार द्वारा -
वर्तमान में सभी देशों में वहां की सरकारें नशे से बचने के लिए कानून बनाते हैं नशा मुक्ति केंद्र खोलते हैं कानून के दौरान नशा करने पर दंडनीय अपराध भी रखते हैं परंतु यह केवल औपचारिकता मात्र दिखाई देता है क्योंकि नशे को बेचना इसकी अनुमति भी सरकार ही देती है यह बड़ा ही हास्यास्पद प्रतीत होता है कि एक तरफ तो नशा है दूसरी तरफ कहा जाता है कि नशा करने के बाद व्यक्ति विशेष को दंडित किया जाएगा इससे कुछ कुछ स्पष्ट प्रतीत होता है कि सरकार को मात्र राजस्व एकत्रित करने के अलावा अन्य कोई इच्छा कहीं या मंशा दिखाई नहीं देती।
नशे से बचने का कारगर उपाय-
नशे के फैलाव तथा नशे के बढ़ते हुए लत को केवल उस से होने वाली हानि से अवगत करा कर और उसके द्वारा होने वाले दुखों से बचने का रास्ता बता कर ही नशे से बचा जा सकता है दूरी बनाई जा सकती है।
नशे रूपी राक्षस से व्यक्ति समाज तथा दुनिया को बचाने के लिए नशे के करने पर आध्यात्मिक परमेश्वर के संविधान के अनुसार इंसान को मिलने वाली सजा तथा दुखों का ज्ञान होना ही एकमात्र तरीका है जिससे मनुष्य नशे से सदा सदा के लिए दूर हो सकता है।
आज पूरे विश्व में एक बहुत ही बड़ा उदाहरण दुनिया के सामने प्रस्तुत है संत रामपाल जी महाराज के रूप में जिनके करोड़ों अन्याय जो पहले नशा करते थे दुराचार करते थे और भी बहुत से पाप किया करते थे विशेष तौर पर नशा तथा मांस का सेवन होता था संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक ज्ञान से प्रभावित होकर उनके बताए हुए शास्त्र अनुकूल भक्ति मार्ग को अपनाकर उन करोड़ों लोगों ने नशे को सदा सदा के लिए त्याग दिया तथा मनुष्य जन्म के मूल कर्तव्य परमेश्वर के संविधान के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने पर जोर देकर अपने तथा पूरे परिवार को सुखी बनाने में संत रामपाल जी महाराज के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करना प्रारंभ किया है।
रामपाल जी महाराज वर्तमान समय में एकमात्र ऐसे संत हैं जो अपने आध्यात्मिक सत्य ज्ञान से सभी को इस चीज का एहसास दिलाते हैं कि यदि हम यह कर्म करेंगे तो हमें उसका फल किस रूप में प्राप्त होगा किन कर्मों की वजह से हमें दुख प्राप्त होगा किन कर्मों की वजह से हमें सजा मिलेगी उन सभी परमेश्वर के बनाए हुए विधान से परिचित होकर व्यक्ति सभी प्रकार की बुराइयों से बच जाता है सावधान हो जाता है यह कार्य संत रामपाल जी महाराज बड़े ही संघर्ष और दृढ़ता के साथ कर रहे हैं जिसमें प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों लोग जुड़कर उनकी शरण ग्रहण करके अपना जीवन सुखद तथा धन्य बना रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज के द्वारा तैयार किया जा रहा समाज नशा मुक्त दहेज मुक्त बीमारी तथा रोगों से मुक्त एक ऐसा स्वच्छ तथा स्वस्थ समाज तैयार हो रहा है जो भारत को विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर है तथा संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में एकता भाईचारा तथा एक परमात्मा एक ईश्वर जिनका नाम पूर्णब्रह्म कबीर है की भक्ति सभी मानव समाज पूरे पृथ्वी पर अपनाकर अपना जीवन धन्य बनाएं तथा पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करें जिसमें सबसे बड़ी बाधक नशा जो कि मनुष्य के नाश की जड़ है को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया जाता है सत्य भक्ति के आधार पर।
संपूर्ण मानव समाज से यह निवेदन किया जाता है संत रामपाल जी महाराज के सर्व संगत की तरफ से कि संत रामपाल जी महाराज के बताए गए उनके द्वारा बोले गए ज्ञान को सत्संग के माध्यम से तथा उनके द्वारा लिखी हुई पुस्तकों के माध्यम से सोने समझे तथा निष्कर्ष निकालकर अपने शास्त्रों के अनुसार चाहे वह किसी भी धर्म में मौजूद का नाम मनुष्य जन्म के मूल कर्तव्य को समझ कर उनके सानिध्य भक्ति करें सुखद जीवन जी अपने परिवार को सुखी करवाएं नशे जैसे राक्षस को ज्ञान रूपी शास्त्र से मारकर सभी समाज तैयार करें मनुष्य जन्म के मूल कर्तव्य को पूरा करें।
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नशा नाश की जड़ होता है इससे बचने के लिए एकमात्र कारगर सुखदायक रास्ता आध्यात्मिक ज्ञान से जीवन जीना संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में |
कबीर परमेश्वर कहते हैं-
• मनुष्य जन्म दुर्लभ है , यह मिले ना बारंबार।
जैसे पेड़ से पत्ता टूट गिरे वह बहुर ना लगता डार।।
• भक्ति बिना नर और खर एक है ,
जिन हरि पद नहीं जाना।
पूर्णब्रह्म की परख नहीं , वह पूज्य मरे पाषाणा।।
सभी मानव समाज से प्रार्थना है संत रामपाल जी महाराज का सत्संग अवश्य सुने और अपने जीवन को सुखी बनाए उनके सानिध्य को स्वीकार करके।
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